करेंट अफेयर्स 12 अप्रैल 2022
करेंट अफेयर्स 12 अप्रैल 2022
1. शहबाज़ शरीफ बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
- पाकिस्तान में राजनीतिक उठा पटक के बीच शहबाज़ शरीफ को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में मतदान के माध्यम से पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में चुन लिया गया है।
- शहबाज़ शरीफ पाकिस्तान के विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के नेता है, और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं।
- पाकिस्तान के संयुक्त विपक्ष दलों ने 70 वर्षीय शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया था, जबकि पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने अपना उम्मीदवार बनाया था।
- मतदान से पहले इमरान खान के नेतृत्व वाली PTI ने इसका बहिष्कार कर दिया, इमरान खान वर्ष 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गये थे।
- शहबाज़ शरीफ ने तीन बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है, शहबाज़ शरीफ सबसे ज्यादा लंबे समय तक पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता हैं, और फिलहाल PML-N के अध्यक्ष हैं।
पाकिस्तान की संसद के बारे में
- उर्दू भाषा में पाकिस्तान की संसद को कौमी असेम्ब्ली कहा जाता हैं। इसमें कुल 342 आसन हैं, जिन में से 242 चुनाव के जरये चुने जाते हैं और बाक़ी के 70 महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।
- पाकिस्तान की संसद का उद्घाटन 18 मार्च 1986 को किया गया था और इस भवन को बनाने में करीब 11 साल का वक्त लगा था।
- पाकिस्तान की संसद को अमेरिका के आर्किटेक्ट एडवर्ड डुरेल स्टोन ने बनाया था। पाकिस्तानी संसद पांच मंजिल की है और पांचों फ्लोर का स्पेस करीब पांच लाख 98 हजार स्क्वायर फीट का है।
2. राष्ट्रपति ने माधवपुर घेड़ मेले का उद्घाटन किया
- हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वार्षिक माधवपुर मेले का उद्घाटन किया। गुजरात के माधवपुर मेले का आयोजन 10 से 14 अप्रैल 2022 तक होगा।
- माधवपुर मेला भारत की सांस्कृतिक विविधता और जीवंतता का अनूठा उत्सव है इस लिए इसका आयोजन पोरबंदर के निकट श्रीकृष्ण की जीवन लीला से जुड़े माधवपुर घेड़ गांव में किया जा रहा है।
- माधवपुर मेले की शुरुवात वर्ष 2018 की गई थी, तब से संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से गुजरात सरकार इस मेले का आयोजन कर रही है।
- भगवान श्रीकृष्ण और रुकमिणी के पवित्र बंधन का उत्सव मनाने के लिये माधवपुर मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों की संस्कृतियों का समामेलन है।
- वर्ष 2018 से यह सांस्कृतिक मेला हर साल रामनवमी से शुरू होता है। यह मेला भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक एकता का उत्सव है।
माधवपुर मेले के मुख्य आयोजन
- उत्तर-पूर्व से लोक सांस्कृतिक प्रदर्शन।
- रुक्मिणी-हरन, क्षेत्र के एक लोकप्रिय लोक नाट्य का प्रदर्शन।
- मणिपुर की संगीत मंडली द्वारा रुक्मिणी से जुड़े गीतों का गायन।
- रुक्मिणी-कृष्ण पर आधारित नृत्य-नाटक।
- अरुणाचल के इदु मिश्मी जनजाति का लोक नृत्य।
माधवपुर मेला:
- यह उत्सव आमतौर पर पाँच दिनों तक जारी रहता है।
- मेला पोरबंदर से लगभग 60 किलोमीटर दक्षिण में माधवपुर के तटीय गाँव में आयोजित किया जाता है।
- यह रुक्मिणी के साथ भगवान कृष्ण के विवाह का जश्न मनाता है।
- भगवान कृष्ण की मूर्ति को लेकर एक रंगीन रथ गाँव की परिक्रमा करती है।
- यह भगवान कृष्ण और रुक्मणी की यात्रा के खूबसूरत क्षणों का जश्न मनाती है।
3. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने प्रदान किये संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने नई दिल्ली में आयोजित एक संयुक्त समारोह में 43 कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप और संगीत नाटक पुरस्कार प्रदान किए विजेताओं को ये पुरस्कार वर्ष 2018 के लिये दिये गए हैं।
- इस मौके पर 2021 के लिये ललित कला अकादमी पुरस्कार भी दिए गए, तीन फैलोशिप सहित ललित कला अकादमी पुरस्कार से 23 हस्तियों को सम्मानित किया गया।
पुरस्कार विजेता:
- नृत्य के क्षेत्र में: तबला वादक ज़ाकिर हुसैन, ओडिसी नृत्यांगना सोनल मानसिंह आदि।
- संगीत के क्षेत्र में: तेरह व्यक्तियों को सम्मानित किया गया जिनमें हिंदुस्तानी गायक मणि प्रसाद और मधुप मुद्ल, संतूर वादक तरुण भट्टाचार्य शामिल हैं।
- इसके अलावा भरतनाट्यम नृत्यांगना राधा श्रीधर और मोहिनीअट्टम नृत्यांगना गोपिका वर्मा को भी फैलोशिप प्रदान की गई।
- पुरस्कृत आठ थिएटर कलाकारों में अभिनय के लिए सुहास जोशी को और निर्देशन के लिए संजय उपाध्याय को यह सम्मान दिया गया।
- संगीतकार मालिनी अवस्थी और ग़ाज़ी खान बरना (लोक संगीत) आदि अन्य श्रेणियों में पुरस्कार विजेता रहे।
- वहीं मूर्तिकार हिम्मत शाह और चित्रकार ज्योति भट्ट तथा श्याम शर्मा को प्रतिष्ठित ललित कला अकादमी फैलोशिप से सम्मानित किया गया।
- दीवान सिंह बजली को परफॉर्मिंग आर्ट्स में समग्र योगदान के क्षेत्र में सम्मानित किया गया।
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- संगीत नाटक अकादमी प्रदर्शन-कला (Performing arts) के क्षेत्र में देश की शीर्षस्थ संस्था है।
- यह कला के क्षेत्र में प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, शिक्षकों और विद्वानों को सरकार द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय सम्मान है।
- ये पुरस्कार संगीत, नृत्य और रंगमंच श्रेणियों में दिए गए, इसके अलावा पारंपरिक, लोक और आदिवासी नृत्य, संगीत, रंगमंच और कठपुतली के लिए एक श्रेणी आरक्षित की गई थी।
- परफॉर्मिंग आर्ट्स में योगदान और छात्रवृत्ति के लिए भी एक-एक पुरस्कार दिया गया।
4. महान् समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती
- 11 अप्रैल को समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती मनाई गई, महात्मा फुले 19वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक, चिंतक, दार्शनिक एवं लेखक थे।
- ज्योतिराव फुले को 'ज्योतिबा फुले' और 'महात्मा फुले' भी कहा जाता है, इनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था।
- महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था।
- महात्मा ज्योतिराव फुले समाज में विद्यमान विभिन्न प्रकार की कुरीतियों जैसे छुआछूत, विधवा महिलाओं की दयनीय स्थिति आदि के खिलाफ आवाज़ उठाई।
- महात्मा फुले ने अस्पृश्यता उन्मूलन और जाति व्यवस्था, महिला मुक्ति और हिंदू पारिवारिक जीवन के सुधार सहित कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किये।
- महात्मा फुले जातिगत आधार पर शोषण के शिकार लोगों और महिलाओं की शिक्षा पर विशेष जोर दिया। इन्होंने 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए पहली बार स्कूल खोला।
- विधवाओं के दयनीय जीवन को देखते हुए फुले दंपत्ति ने उच्च जाति की विधवाओं के लिए एक आश्रम बनाया।
- वे छुआछूत और बाल विवाह के विरोधी थे जबकि विधवा पुनर्विवाह का समर्थन करते थे। वे सभी लोगों के लिए समान अधिकारों के हिमायती थे।
- 1888 में ज्योतिबा फुले को 'महात्मा' की उपाधि से सम्मानित किया गया, 28 नवंबर, 1890 को महात्मा ज्योतिबा फुले का स्वर्गवास हो गया।
- महात्मा फुले के कार्य और लेखन ने भारत में जाति व्यवस्था में सुधार के लिए बाद के आंदोलनों को प्रेरित किया, जिसमें भीमराव रामजी अंबेडकर भी शामिल थे।
- उन्होंने अपने विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए कई रचनाएँ कीं, जिनमें उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति गुलामगिरी है, जो 1873 में प्रकाशित हुई थी।
5. 'सीमा दर्शन परियोजना' का उद्घाटन
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के बनासकांठा जिले के सुई गाँव तहसील के नडाबेट स्थित भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नवनिर्मित ‘सीमा दर्शन परियोजना’ का उद्घाटन किया।
- ‘सीमा दर्शन परियोजना’ के कारण बनासकांठा जिला पूरे देश में आकर्षण का केंद्र बनेगा।
- यह परियोजना गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई है।
- गुजरात के बनासकांठा जिले के नडाबेट में इस परियोजना का निर्माण किया गया।
- यह परियोजना भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
परियोजना के बारे में:
- 'सीमा दर्शन परियोजना' की कुल लागत: ₹125 करोड़ रूपए है।
- इसे एक प्रमुख सीमा पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया गया है।
- परियोजना के आकर्षण में 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह शामिल होगा।
- पर्यटक यहाँ भारतीय सेना और बीएसएफ के विभिन्न हथियारों जैसे मिसाइलों, मिग-27 विमान आदि को भी देख सकेंगे।
- इसके जरिये पर्यटक बीएसएफ जवानों की कहानियों से भी रूबरू होंगे।
- देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों की स्मृति में यहाँ 'अजय प्रहरी' नामक एक स्मारक बनाया गया है।
- यहाँ पर पर्यटकों के लिए पार्किंग सुविधा, 500 लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक सभागार आदि कई सुविधाएँ मौजूद हैं।
- सीमा पर्यटन, सीमा सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा करने और सीमावर्ती गाँवों से लोगों के प्रवास को रोकने में भी मदद करेगा।