करेंट अफेयर्स 15 अप्रैल 2022
करेंट अफेयर्स 15 अप्रैल 2022
1. “अमृत समागम" सम्मेलन का समापन
- आजादी का अमृत महोत्सव पर भारत सरकार, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रियों का सम्मेलन “अमृत समागम" 12 और 13 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
- “अमृत समागम" सम्मेलन का उद्घाटन गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा किया गया था।
- आज़ादी का अमृत महोत्सव अपना प्रथम वर्ष पूरा कर चुका है।
- “अमृत समागम" सम्मेलन में चर्चा के विषयों में - 'हर घर झंडा', 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस', 'डिजिटल जिला भंडार', 'स्वतंत्र स्वर' और 'मेरा गांव मेरी धरोहर' के संदर्भ में लोगों की जन भागीधारी भी शामिल की गई।
- संस्कृति मंत्रालय इस महोत्सव की प्रगति पर विचार-विमर्श करने एवं आगामी पहलुओं को लेकर महोत्सव की शेष अवधि के लिए रणनीति बनाए जाने के बारे में चर्चा की गई।
आजादी के अमृत महोत्सव के बारे में :-
- आजादी का अमृत महोत्सव केंद्र और राज्य सरकारों की एक प्रमुख पहल है।
- 12 मार्च 2021 को दांडी मार्च की 91वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले 75 सप्ताह लंबे आजादी का अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया था।
- आजादी का अमृत महोत्सव भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शुरू किया गया है।
- आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े देशभक्ति के उत्साह को फिर से जागृत करना और नवीनीकृत करना है।
- स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करना और इंडिया@2047 के लिए एक विजन तैयार करना है।
2. जूलियस न्येरेरे की 100वीं जयंती
- हाल ही में 13 अप्रैल को अफ्रीका की सबसे सम्मानित शख्सियतों में से एक जूलियस न्येरेरे की जयंती मनाई गई।
- जूलियस न्येरेरे की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के मित्र और महान नेता म्वालिमू न्येरेरे को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।
- एकता और समानता के जिन सिद्धांतों की उन्होंने वकालत की, वे आज भी प्रासंगिक हैं, इनको मवालिमु या शिक्षक के रूप भी जाना जाता था। इस वर्ष 2022 में जूलियस न्येरेरे की 100वीं जयंती है।
- म्वालिमू न्येरेरे के एकता और समानता के सिद्धांत आज भी पहले की तरह प्रासंगिक हैं। न्येरेरे का जीवन और उनके कार्य हम सबके लिये सतत प्रेरणा बने रहेंगे।
जूलियस कंबारेज न्येरेरे के बारे में :-
- उनका जन्म विक्टोरिया झील के पास बुटियामा में वर्ष 13 अप्रैल, 1922 हुआ था।
- वर्ष 1954 में उन्होंने तांगानिका (तंजानिया) अफ्रीकी राष्ट्रीय संघ (TANU) की स्थापना की, उन्होंने 1955 संयुक्त राष्ट्र की ट्रस्टीशिप काउंसिल को संबोधित किया था।
- जूलियस कंबारेज ने 1956 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की समिति को संबोधित किया।
- उन्हें विधान परिषद में तांगानिका (तंजानिया) के लिए TANU सदस्य के रूप में नामित किया गया था, लेकिन इसकी प्रगति में कमी के विरोध में इस्तीफा दे दिया।
- 1958 में उन्हें पूर्वी प्रांत के सदस्य के रूप में फिर से चुना गया, 1960 उन्हें तांगानिका गणराज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया एवं वर्ष 1961में तांगानिका गणराज्य के प्रधानमंत्री बने।
- जूलियस कंबारेज वर्ष 1962 में तांगानिका(तंजानिया) गणराज्य के राष्ट्रपति बनें।
- दूसरी बार वर्ष 1964 में वह सरकार की एक दलीय प्रणाली की शुरूआत की घोषणा करते हुए तंजानिया के राष्ट्रपति बने।
- इसके बाद, उन्हें नियमित अंतराल पर प्रत्येक अवसर पर पर्याप्त बहुमत के साथ फिर से चुना गया।
- जूलियस कंबारेज ने 1985 राष्ट्रपति पद छोड़ दिया लेकिन चामा चा मापिंदुज़ी (Chama Cha Mapinduzi - CCM) पार्टी के अध्यक्ष बने रहे।
- 1990 में उन्होंने CCM की अपनी अध्यक्षता को त्याग दिया, जूलियस कंबारेज बुरुंडी संघर्ष में मुख्य मध्यस्थ थे।
- 14 अक्टूबर 1999 को लंदन के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया, वह उजामा समाजवाद पर कई प्रकाशनों के लेखक थे। उन्होंने शेक्सपियर के कई नाटकों का स्वाहिली में अनुवाद भी किया है।
3. नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया।
- प्रधानमंत्री संग्रहालय स्वतंत्रता के बाद से भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री को एक श्रद्धांजलि है, और पिछले 75 वर्षों में हमारे देश के विकास में प्रत्येक ने कैसे योगदान दिया है, इसका एक कथात्मक रिकॉर्ड है।
- आधुनिक भारत की गाथा स्वतंत्रता संग्राम और एक महान संविधान के निर्माण से शुरू होती है।
- संग्रहालय दर्शाता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न चुनौतियों के माध्यम से देश को नेविगेट किया और देश की सर्वांगीण प्रगति सुनिश्चित की।
- भारत सरकार ने 2016 में तीन मूर्ति चौक, नई दिल्ली के ठीक सामने स्थित तीन मूर्ति एस्टेट में प्रधानमंत्री संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था।
- एक समकालीन भवन परिसर को भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान के बारे में जानकारी एकत्र करने, शोध करने और प्रसार करने पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक प्रमुख संस्था के रूप में कल्पना की गई है।
- इमारत का क्षेत्रफल 10491 वर्ग मीटर है। कुल परियोजना लागत रु. 306 करोड़।
- नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय को मई 2019 में बर्नियर्ट के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था।
- हालांकि भवन घटक को सीपीडब्ल्यूडी द्वारा निष्पादित किया गया है। सामग्री और प्रौद्योगिकी घटक एनएमएमएल द्वारा निष्पादित किया गया है।
प्रधानमंत्री संग्रहालय के भवन की मुख्य विशेषताएं
- संग्रहालय भवन का डिजाइन उभरते भारत की कहानी से प्रेरित है। नए संग्रहालय भवन को प्रधानमंत्री संग्रहालय भवन के साथ एकीकृत किया गया है।
- डिजाइन में टिकाऊ और ऊर्जा संरक्षण प्रथाओं को शामिल किया गया है। परियोजना पर काम अक्टूबर, 2018 में शुरू हुआ। न तो कोई पेड़ काटा गया और न ही प्रतिरोपित किया गया।
- संग्रहालय का कुल क्षेत्रफल 15,619 वर्ग मीटर (भवन 5,128 वर्ग मीटर प्लस बिल्डिंग ( 10,491 वर्ग मीटर) है। पर्यावरण संबंधी विचारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
- संग्रहालय का लोगो राष्ट्र और लोकतंत्र का प्रतीक धर्म चक्र धारण करने वाले भारत के लोगों के हाथों का प्रतिनिधित्व करता हैI
4. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का दो-डिग्री कार्यक्रम
- हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने दो-डिग्री कार्यक्रम (Dual-Degree Program) संबंधी दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दियाI इसके तहत छात्र दो शैक्षणिक कार्यक्रमों को एकसाथ करने में सक्षम हो सकेंगेI
- यह क़दम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप हैI यह शैक्षणिक सत्र 2022-2023 के दौरान लागू होगाI
- 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से, छात्र इन दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के लिए आवेदन करना शुरू कर सकते हैं। दोनों डिग्री या तो अलग-अलग विश्वविद्यालयों से या एक ही विश्वविद्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं।
कार्यक्रम के बारे में:
- यह कार्यक्रम छात्रों को दो स्नातक डिग्री, दो स्नातकोत्तर डिग्री, अथवा दो डिप्लोमा कार्यक्रम एक साथ करने की अनुमति देगाI
- इसमें दो डिग्रियाँ या तो ऑफलाइन क्लासरूम मोड में या एक ऑनलाइन और एक ऑफ़लाइन, या दोनों ऑनलाइन मोड में पूरी की जा सकेंगीI
- ये दोनों डिग्रियाँ यूजीसी द्वारा स्वीकृत केवल गैर-तकनीकी कार्यक्रम में होंगीI
- जिसमें विभिन्न स्ट्रीम्स के विषयों का संयोजन (combination) बनाया जा सकता हैI
- छात्र या तो एक डिप्लोमा कार्यक्रम और एक स्नातक (UG) डिग्री, दो मास्टर कार्यक्रम, या फिर दो स्नातक कार्यक्रमों का कॉम्बीनेशन चुन सकते हैंI
- इसमें विभिन्न पाठ्यक्रमों के साथ-साथ प्रवेश नीतियों के लिए पात्रता मानदंड प्रत्येक विश्वविद्यालय द्वारा तय किया जाएगाI
- गौरतलब है कि एमफिल और पीएचडी कार्यक्रम इस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं होंगेI
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के बारे में
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना 28 दिसंबर, 1953 को की गईI
- विश्वविद्यालय में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार का एक सांविधिक संगठन बन गया।
5. नरेंद्र मोदी ने किया सबका विकास महाक्विज का शुभारंभ किया
- देश के व्यक्ति तक सेवा पहुंचाने के इस दृष्टिकोण के एक हिस्से के रूप में, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के तहत माय गॉव सबका विकास महाक्विज श्रृंखला का आयोजन कर रहा है।
- यह प्रश्नोत्तरी 14 अप्रैल, 2022 को भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उपयुक्त रूप से शुरू की गई है।
- बाबासाहेब अम्बेडकर सामाजिक न्याय और अधिकारिता के प्रतीक हैं और सरकार समाज के गरीब, हाशिए वाले और कमजोर वर्गों की सेवा में उनके नक्शेकदम पर चल रही है।
- पहली प्रश्नोत्तरी उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) एक गरीब-हितैषी योजना है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के कारण गरीबों के सामने आने वाली चुनौतियों को कम करना है।
- तात्कालिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि कोई गरीब या कमजोर व्यक्ति या परिवार भूखा न रहे। इस योजना के तहत, सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थी हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज के हकदार हैं।
सबका विकास महा क्विज उद्देश्य
- सरकार की विभिन्न योजनाओं और सुशासन के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा करना।
- प्रश्नोत्तरी का उद्देश्य प्रतिभागियों को विभिन्न योजनाओं तथा पहलों के साथ-साथ इन से लाभान्वित होने के बारे में जागरूक करना है।
- प्रश्नोत्तरी श्रृंखला में व्यापक भागीदारी से जमीनी स्तर पर सरकारी जुड़ाव और गहरा होगा।
- इस संदर्भ में, माय गॉव ने लोगों को इसमें भाग लेकर न्यू इंडिया के बारे में अपने ज्ञान को परखने के लिए आमंत्रित किया है।