करेंट अफेयर्स 29 अप्रैल 2022
करेंट अफेयर्स 29 अप्रैल 2022
1. अफ्रीकी गणराज्य की आधिकारिक मुद्रा बना बिटकॉइन
- हाल ही में मध्य अफ्रीकी गणराज्य (Central African Republic-CAR) ने बिटकॉइन (Bitcoin) को अपनी आधिकारिक मुद्रा के रूप में अपना लिया है।
- इसके साथ ही यह ऐसा करने वाला दूसरा देश बन गया है।
- इससे पहले एल साल्वाडोर (El Salvador) सितंबर 2021 में बिटकॉइन को आधिकारिक मुद्रा के तौर पर अपनाने वाला पहला देश बना था।
- CAR के सांसदों ने बिटकॉइन को अपनाने के लिये सर्वसम्मति से मतदान किया।
- वर्तमान में CAR अपनी मुद्रा के रूप में फ़्रांस-समर्थित CFA फ्रैंक का इस्तेमाल करता है।
मध्य अफ्रीकी गणराज्य (CAR) के बारे में :-
- यह अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में बसा एक भू-आबद्ध (landlocked) देश है।
- विभिन्न खनिज पदार्थों जैसे हीरा, सोना, यूरेनियम आदि की भरमार के बावजूद यह देश दुनिया के सबसे ज़्यादा ग़रीब देशों में शुमार है।
- पूर्व में यह एक फ़्रांसिसी उपनिवेश था, और 1960 में इसे स्वतंत्रता मिली अपनी स्वतंत्रता के बाद से ही यह देश संघर्षों से जूझ रहा है।
बिटकॉइन (Bitcoin) के बारे में :-
- यह एक विकेंद्रीकृत (decentralized) डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है।
- इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी।
- बिटकॉइन दो पक्षों के बीच किया जाने वाला लेन-देन है, जिसमें किसी बैंक, सरकार या किसी अन्य वित्तीय संस्थान की मध्यस्थता नहीं होती।
- इसके तहत कोई भी बिटकॉइन प्रोग्राम डाउनलोड कर बिटकॉइन वॉलेट बना सकता है।
- इसे क्रिप्टोकरेंसी के एक प्रकार के तौर पर भी जाना जाता है।
2. THE (टाइम्स हायर एजुकेशन) इम्पैक्ट रैंकिंग 2022 के परिणाम घोषित
- हाल ही में, THE (टाइम्स हायर एजुकेशन) इम्पैक्ट रैंकिंग 2022 के परिणाम घोषित किए गए हैं।
- इस वर्ष (2022) में इस रैंकिंग का चौथा संस्करण प्रकाशित किया गया।
- इस रैंकिंग में 106 देशों/क्षेत्रों के 1,406 विश्वविद्यालय शामिल हैं।
- गौरतलब है कि इम्पैक्ट रैंकिंग ऐसी एकमात्र रैंकिंग है जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के संदर्भ में विश्वविद्यालयों का आकलन करती है।
- ये रैंकिंग 2019 में स्थापित की गई थी।
इस रैंकिंग में निम्नलिखित संकेतकों का उपयोग किया जाता है :-
- शोध
- स्टीवर्डशिप (Stewardship)
- आउटरीच
- शिक्षण
- इस रैंकिंग के साथ 17 तालिकाएँ भी प्रकाशित की जाती हैं जिसमें प्रत्येक SDG को वितरित करने की दिशा में विश्वविद्यालयों की प्रगति को दर्शाया जाता है।
2022 की रैंकिंग के परिणाम :-
- रैंकिंग में पहला स्थान ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी को मिला है।
- दूसरे स्थान पर अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी और तीसरे नंबर पर कनाडा की वेस्टर्न यूनिवर्सिटी रही है।
- चौथे स्थान पर संयुक्त रूप से सऊदी अरब में किंग अब्दुल अज़ीज़ यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी सेन्स मलेशिया रहे है।
- भारत 64 विश्वविद्यालयों के साथ इस रैंकिंग में चौथा सबसे अच्छे प्रतिनिधित्व वाला देश रहा।
- भारत के 64 विश्वविद्यालयों में से आठ ने वैश्विक शीर्ष 300 की सूची में जगह बनाई है।
- अमृता विश्व विद्यापीठम को वैश्विक स्तर पर 41वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- वहीं, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी 74वें स्थान पर शीर्ष 100 में शामिल हुई।
3. डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) प्रोग्राम लॉन्च
- हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) प्रोग्राम लॉन्च किया है।
- इसका मक़सद, भारत को दुनियाभर के लिये भावी पीढ़ी के माइक्रोप्रोसेसर्स के निर्माण में सक्षम बनाना है।
- भारत दिसंबर 2023 तक वाणिज्यिक सिलिकॉन और डिज़ाइन निर्माण में बढ़त हासिल कर सके।
- यह कार्यक्रम भारत में सेमीकंडक्टर स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा।
- इसे भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण क़दम माना जा रहा है।
- DIR-V स्टार्टअप्स, अकादमिक और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देगा।
- इससे भारत न केवल दुनिया का RISC-V टैलेंट हब बनेगा बल्कि सर्वर, मोबाइल डिवाइस, ऑटोमोटिव आदि के लिये RISC-V SoC (सिस्टम ऑन चिप्स) का वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी बन सकेगा।
- केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और नवाचार के लिए रणनीतिक रोडमैप का भी अनावरण किया है।
- गौरतलब है कि भारत RISC-V इंटरनेशनल के प्रीमियर बोर्ड में सदस्यता लेने की योजना भी बना रहा है।
- इससे इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर सहयोग, योगदान और समर्थन के साथ-साथ भारत की विशेषज्ञता को भी बढ़ावा मिल सकेगा।
RISC-V इंटरनेशनल :-
- RISC-V इंटरनेशनल एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है।
- इसकी स्थापना 2015 में हुई थी।
- RISC-V एक फ्री एंड ओपन ISA है, जो ओपन स्टैण्डर्ड कोलैबोरेशन के ज़रिये प्रोसेसर इनोवेशन के एक नए दौर को बढ़ावा देता है।
- खुले सहयोग के लिए विभिन्न कंपनियों, उद्योगों और भौगोलिक क्षेत्रों को एक साथ लाया है।
- आरआईएससी-वी एक खुले लाइसेंस व्यवसाय मॉडल के साथ एक मॉड्यूलर तकनीकी दृष्टिकोण को जोड़ती है।
- जिसका अर्थ है कि कोई भी, कहीं भी आरआईएससी-वी इंटरनेशनल द्वारा योगदान और उत्पादित आईपी का लाभ उठा सकता है।
- स्विट्ज़रलैंड में स्थित, RISC-V International एक वैश्विक संगठन है।
- गैर-लाभकारी के रूप में, आरआईएससी-वी इंटरनेशनल उत्पादों या सेवाओं में कोई व्यावसायिक हित नहीं रखता है।
- RISC-V भी किसी भूगोल की ओर से कोई राजनीतिक स्थिति नहीं लेता है।
4. जम्मू कश्मीर में क्वार जलविद्युत परियोजना को मंजूरी
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर में क्वार जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी।
- इस परियोजना को Chenab Valley Power Projects Ltd द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
- इस परियोजना का 54 महीनों के भीतर चालू होने की उम्मीद है।
- इसकी निर्माण गतिविधियों से लगभग 2,500 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
- परियोजना द्वारा वार्षिक बिजली उत्पादन 90 प्रतिशत के बराबर या उससे अधिक होगा।
- इस हिसाब से परियोजना से 19755.4 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
क्वार परियोजना :-
- यह जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर बनायी जाएगी।
- यह 540 मेगावाट की परियोजना है।
- इस परियोजना के लिए ₹4,526.12 करोड़ के निवेश को मंजूरी दी गई है।
- इससे 1975.54 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न करने की उम्मीद है।
चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड : -
- सीवीपीपीपीएल एनएचपीसी (51%) और जेकेएसपीडीसी (49%) के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
- इस कंपनी का गठन 13 जून, 2011 को किया गया था।
- इसका गठन जम्मू और कश्मीर सरकार एवं केंद्र की पहल पर किया गया था।
- इसका गठन चिनाब नदी की विशाल जल क्षमता का दोहन करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार और भारत सरकार की पहल पर किया गया है।
- सीवीपीपीपीएल को 3094 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ बिल्ड, ओन, ऑपरेट एंड मेंटेन (बूम) आधार पर परियोजनाओं के निर्माण का काम सौंपा गया है।
5. CSIR और CDC के विलय को मंजूरी
- हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने CSIR के साथ CDC के विलय को मंजूरी दे दी।
- इसका मक़सद, विभाग में कामकाज को सुव्यवस्थित करने के साथ ही न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन के मंत्र को साकार करना भी है।
- इस विलय के बाद, परामर्श विकास केंद्र (CDC) की सभी चल संपत्ति और देनदारियाँ CSIR को हस्तांतरित हो जाएंगी।
- इसके अलावा CDC के मौजूदा 13 कर्मचारियों को तेरह अतिरिक्त पद सृजित कर CSIR में समायोजित किया जाएगा।
- बता दें कि CSIR और CDC, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत दो अलग-अलग स्वायत्त निकाय हैं।
- इन निकायों का विलय नीति आयोग की समीक्षा समिति की सिफारिश के आधार पर किया गया है।
- इसके परिणामस्वरूप, DSIR में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 (SRA) के तहत सिर्फ एक स्वायत्त निकाय रहेगा।
- इस विलय से CSIR को निम्नलिखित सहित कई लाभ होंगे, जैसे CDC के अनुभवी कर्मचारियों की सेवाओं का लाभ मिलेगा।
- परियोजनाओं का तकनीकी-व्यावसायिक मूल्यांकन।
- CSIR प्रौद्योगिकी आधारित प्रोटोटाइप के विकास और कार्यान्वयन हेतु विस्तृत इंजीनियरिंग व डिज़ाइन तैयार करना व्यापार के विकास से संबंधित गतिविधियाँ इत्यादि।
CSIR के बारे में :-
- CSIR का पूरा नाम “वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद” है।
- इसकी स्थापना 1942 में की गई थी।
- इसे एक राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संगठन के रूप में 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत स्थापित किया गया था।
- इसका उद्देश्य भारत के आर्थिक विकास और मानव कल्याण को बढ़ावा देना था।
- सीएसआईआर के पास 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 3 नवाचार परिसरों और अखिल भारतीय उपस्थिति वाली पांच इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है।
- लगभग 4350 वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मियों द्वारा समर्थित लगभग 3460 सक्रिय वैज्ञानिकों कार्यरत है।
- सीएसआईआर समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, दवाओं, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी, इंस्ट्रूमेंटेशन और सूचना प्रौद्योगिकी तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करता है।
- यह सामाजिक प्रयासों से संबंधित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करता है।
- पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं।
- इसके अलावा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मानव संसाधन विकास में सीएसआईआर की भूमिका उल्लेखनीय है।
CDC के बारे में :-
- परामर्श विकास केंद्र (CDC) की स्थापना 1986 में हुई थी।
- इसे एक सोसायटी के रूप में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के सहयोग से गठित किया गया था।
- अक्तूबर 2004 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इसे DSIR के एक स्वायत्त निकाय के रूप में मंजूरी दी गई।
- इसका मक़सद, देश में परामर्श संबंधी कौशल एवं क्षमताओं के विकास, सुदृढ़ीकरण और प्रोत्साहन को बढ़ावा देना था।