जानिए भारत में चीता पुनः पुनर्वास योजना के बारे में

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17-Sep-2022 12+

जानिए भारत में चीता पुनः पुनर्वास योजना के बारे में

दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जीव चीते का फिर से भारत में आगमन हो चुका है। 70 वर्षों बाद भारत के जंगलों में चीते फिर से विचरण करते हुए देखे जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से भारत लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के जंगलों में छोड़ेंगे। भारत में चीते ‘अंतर महाद्वीपीय पुनर्वास की भारत की महत्वाकांक्षाी योजना‘ के तहत लाए गए हैं।

 

गौरतलब है कि भारत में 1952 में चीतों विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वर्ष 1947 में देश का अंतिम चीता छत्तीसगढ़ में मृत पाया गया था उसके बाद भारत में कोई चीता नहीं दिखा और अंततः 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया। विलुप्त घोषित किये जाने के 70 सालों के बाद चीतों को फिर से भारत लाया गया है। पर्यावरण संतुलन की दिशा में यह भारत सरकार का एक सराहनीय प्रयास है। चीता पुर्नवास परियोजना का क्रियान्वन भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किया गया है।

 

यह भारत सरकार की एक बड़ी योजना है, इसलिए इससे संबंधित कई प्रश्न सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अवश्य पूछे जाएंगे। इसलिए अभ्यर्थियों को इस परियोजना से जुड़ी बातों का पता होना आवश्यक है। इस लेख में हम आपके साथ इस परियोजना से जुड़ी तमाम जानकारियां साझा करेंगे। इस जानकारी को आप अपने साथियों के साथ भी अवश्य शेयर करें।

 

चीतों के बारे में सामान्य जानकारी -

 

  • चीते बड़ी बिल्ली (Big Cats) प्रजातियों में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक हैं। चीते के पूर्वज पांच मिलियन से अधिक वर्ष पूर्व मियोसीन युग में भी इस धरती पर मौजूद थे।
  • चीते को दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर माना जाता है। यह स्तनपायी जीव वर्तमान में अफ्रीका और एशिया में पाये जाते हैं।
  • अफ्रीका में पाये जाने वाले चीतों को अ­फ्रीकी चीते और एशिया में पाये जाने वाले चीतों को एशियाई चीता कहा जाता है।

 

अफ्रीकी चीता -

  • वैज्ञानिक नाम - अफ्रीकी चीते का वैज्ञानिक नाम एसिनोनिक्स जुबेटस है।
  • शारीरिक बनावट - इनकी त्वचा का रंग हल्का भूरा या सुनहरा होता है। इनकी त्वचा एशियाई चीतों के मुकाबले मोटी होती है।
  • संख्या - पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में लगभग 7000 चीते मौजूद हैं।

संरक्षण की स्थिति -

  • IUCN रेड लिस्ट - ‘सुभेद्य‘ (Vulnerable)
  • CITES - सूची का परिशिष्ट - I
  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972: परिशिष्ट – 2

 

एशियाई चीता -

  • वैज्ञानिक नाम - एशियाई चीते का वैज्ञानिक नाम एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस है।
  • शारीरिक बनावट - आकार में यह अफ्रीकी चीते से छोटा होता है, शरीर पर बहुत अधिक फर होता है, सिर छोटा व गर्दन लंबी होती है, आँखें लाल होती हैं और बिल्ली के समान दिखते हैं।
  • संख्या - पूरे एशिया महाद्वीप में एशियाई चीते केवल ईरान में पाये जाते हैं और वहां इनकी संख्या 100 से भी कम है।

संरक्षण की स्थिति -

  • IUCN रेड लिस्ट - ‘अति संकटग्रस्त‘ (Critically Endangered)
  • CITES - सूची का परिशिष्ट - I
  • WPA : अनुसूची – 2

 

 

चीता को भारत वापस लाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

मोंगाबे नामक अंतरराष्ट्रीय वाइल्डलाइफ मैगजीन के पत्रकार मनीष चंद्र मिश्र के अनुसार भारत में चीतों के विलुप्त हो जाने के बाद से भारतीय ग्रासलैंड (घास के मैदानों) की इकोलॉजी खराब हो गई थी। ग्रासलैंड की इकोलॉजी को संतुलित करने के लिए चीतों को वापस भारत में लाने की आवश्यकता हुई। चीता एक ऐसा जानवर है जो खाद्य श्रृंखला में सबसे ऊपर मौजूद जीव है। इसलिए खाद्य श्रृंखला को संतुलित करना भी भारत में चीतों के पुर्नवास का एक कारण है। वहीं चीतों के पुर्नवास से भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।

 

 

भारत में कहां किया जाएगा चीतों का पुनर्वास?

भारत में चीते अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए हैं और इन्हें मध्यप्रदेश राज्य के 'कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान' में छोड़ा जाएगा। हालांकि चीतों को पहले 30 दिन एक बाड़े में रखा जाएगा, ताकि वे भारतीय वातावरण में घुल-मिल सकें। इसके बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।

 

कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया?

हालांकि चीतों के लिए और भी राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में विश्लेषण किया गया था। ये राष्ट्रीय उद्यान भारत के पांच राज्यों - राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में स्थित हैं। इन पांच राज्यों में 10 स्थानों को चिन्हित किया गया था और अंत में मध्य प्रदेश राज्य के कुनो नेशनल पार्क को चीतों के पुनर्वास के प्रथम चरण के लिए चयनित किया गया।

चीतों को ग्रासलैंड यानि ऊँची घास के मैदानी इलाकों में रहना पसंद होता है। अफ्रीका के जंगल भी बहुत ज्यादा घने नहीं है, इसलिए चीतों के लिए वहां उपयुक्त वातावरण है। चीतों के रहने लायक वातावरण में ज्यादा उमस नहीं होती, साथ ही ऐसा स्थान होता है जहां ना बहुत तीव्र ठंड पड़ती हो और ना ही बहुत ज्यादा वर्षा होती हो। इन सभी बातों का विश्लेषण करने के बाद कूनो नेशनल पार्क को चुना गया। वहां चीतों के शिकार के लिए भी पर्याप्त जानवर हैं।

 

 

कूनो नेशनल पार्क के बारे में -

 

  • यह मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है।
  • वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया, इसका क्षेत्रफल 749 वर्ग किलोमीटर है।
  • कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में तेंदुए, सियार, चित्तीदार हिरण, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सूअर और चार सींग वाले मृग हैं। यह सब चीता जैसी बिल्ली प्रजाति के लिए एक आदर्श आधार उपलब्ध कराते हैं।
  • यहाँ विभिन्‍न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियाँ विद्यमान है, वहीं सैंकड़ों प्रजातियां वन्य जीवों की हैं। पक्षियों की 12 प्रजातियां तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं।
  • केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।
  • अफ़्रीकी चीते के अतिरिक्त गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान से कुछ एशियाई शेरों को भी यहाँ स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।

 

चीता पुनर्वास परियोजना के बारे में -

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान ने सात साल पहले चीता संरक्षण के लिये 260 करोड़ रुपए की लागत से चीता पुनः पुनर्वास परियोजना तैयार की थी।
  • यह विश्व की पहली अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानांतरण परियोजना है।
  • पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 19वीं बैठक में भारत में “चीते की पुनः वापसी हेतु कार्ययोजना” जारी की थी।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने अगले 5 वर्षों के भीतर नामीबिया से 50 अफ्रीकी चीते लाने का फैसला किया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2020 में केंद्र सरकार को भारत में उपयुक्त निवास स्थान पर अफ्रीकी चीतों के पुनः स्थापन (Reintroduction) की अनुमति दे दी थी। इसके तहत अगले 5 वर्षों में 50 चीता देश में लाये जायेंगे। ‘पुनर्स्थापन’ से तात्पर्य, किसी प्रजाति को उस क्षेत्र में छोड़ने से है, जहां वह जीवित रहने में सक्षम हो।
  • देश की प्रमुख पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) अफ्रीका से भारत में चीतों के महत्वाकांक्षी पुनर्वास के लिए 50.22 करोड़ रुपये देगी।
  • (IOC) ने 75 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के दो-तिहाई हिस्से को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (IOC) के साथ एक समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • समझौता ज्ञापन पर IOC के चेयरमैन एस एम वैद्य और NTCA  के महानिदेशक (चीता परियोजना) और सदस्य सचिव एस पी यादव ने हस्ताक्षर किए।

     

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