जानें कैसे हुआ राजस्थान का एकीकरण
जानें कैसे हुआ राजस्थान का एकीकरण
जानें कैसे हुआ राजस्थान का एकीकरण
- हर वर्ष 30 मार्च को हम राजस्थान दिवस के रूप में मनाते है, राजस्थान का अपना बहुत ही बड़ा इतिहास है जो राजस्थान की कला-संस्कर्ती को दर्शाता है।
- भारत की स्वतंत्रता के पश्चात प्रमुख चुनौती देश की 562 देशी रियासतो को एक साथ लाकर एकीकृत भारत का निर्माण करना था।
- इस कार्य के लिए 5 जुलाई 1947 में रियासती विभाग की स्थापना सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में की गई और सचिव वी.पी. मेनन को बनाया गया।
- राजस्थान का एकीकरण 8 वर्ष, 7 माह और 14 दिनो में पूरा हुआ और राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणो में सम्पन्न हुई।
- राजस्थान में एकीकरण के समय 19 देशी रियासते और 3 ठिकाने (नीमराणा, कुशलगढ और लावा) और एक केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाडा क्षेत्र था।
- राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड और सबसे नवीन रियासत झालावाड (अंग्रेजो द्वारा निर्मित एकमात्र रियासत) थी।
राजस्थान एकीकरण के चरण
- राजस्थान का एकीकरण सात चरणो में 18 मार्च, 1948 से प्रारम्भ होकर 1 नवम्बर, 1956 को पूर्ण हुआ और इस प्रक्रिया में कुल 8 वर्ष, 7 माह और 14 दिन का समय लगा।
- स्वतंत्रता के समय राजस्थान में 19 रियासते, 3 ठिकाने-लावा (टोंक), कुशलगढ (बॉसवाडा), नीमराना (अलवर) और एक चीफ कमिश्नर प्रशासित (केंद्र शासित) प्रदेश अजमेर-मेरवाडा था।
- राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बडी रियासत जोधपुर और सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी।
- सबसे प्राचीन रियासत मेवाड (उदयपुर) और सबसे नवीन व अंग्रेजो द्वारा निर्मित एकमात्र रियासत झालावाड थी।
- 19 रियासतो को तोपो की सलामी दी जाती थी इसलिए उन्हे ह्लसेल्यूट स्टेटह्व कहा जाता था और नीमराणा, कुशलगढ और लावा ठिकानो को तोपो की सलामी नही दी जाती थी अत: ये ह्लनॉन सेल्यूट स्टेटह्व कहलाते थे।
- मत्स्य संघ में शामिल दो रियासते धौलपुर और भरतपुर भाषाई आधार पर उत्तर प्रदेश में शामिल होना चाहते थे परंतु डॉ0 शंकर देव राय समिति की सिफारिश पर इन्हे राजस्थान मे मिला लिया गया।
राजस्थान का एकीकरण विभिन्न चरण
1.प्रथम चरण (मत्स्य संघ):-
- राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासते और नीमराणा ठिकाने को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया गया।
- मत्स्य संघ की राजधानी अलवर को बनाया गया।
- धौलपुर रियासत के राजा उदयभान सिंह को मत्स्य संघ का राजप्रमुख पद प्रदान किया गया।
- मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री अलवर के शोभाराम कुमावत को बनाया गया।
- के.एम.मुंशी ने मत्स्य संघ का नामकरण किया था।
- राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण के रुप में मत्स्य संघ का उद्घाटन एन.वी.गॉडविल ने किया था।
2.द्वित्तीय चरण (पूर्वी राजस्थान):-
- एकीकरण के द्वित्तीय चरण में दक्षिण-पूर्वी रियासतो कोटा, बूंदी, झालावाड, डूंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ, टोंक, किशनगढ, शाहपुरा और लावा, कुशलगढ ठिकाने को मिलाकर पूर्वी राजस्थान का निर्माण 25 मार्च, 1948 को किया गया।
- पूर्वी राजस्थान का राजप्रमुख कोटा महारावल भीमसिंह को बनाया गया।
- कोटा को ही इस संघ की राजधानी निर्धारित किया गया।
- उप राजप्रमुख का पद बूंदी के महाराव बहादुर सिंह को प्रदान किया।
- पूर्वी राजस्थान का प्रधानमंत्री शाहपुरा रियासत के गोकुल लाल असावा को बनाया गया।
- इस चरण का उद्घाटन एन. वी. गॉडविल द्वारा किया गया।
3. तृतीय चरण (संयुक्त राजस्थान):-
- 18 अप्रैल, 1948 को द्वित्तीय चरण में निर्मित पूर्वी राजस्थान में उदयपुर रियासत को सम्मिलित कर संयुक्त राजस्थान का निर्माण किया गया।
- राजप्रमुख का पद उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह को प्रदान किया गया।
- कोटा रियासत के महाराव भीम सिंह को उप-राजप्रमुख बनाया गया।
- प्रधानमंत्री के रुप में माणिक्य लाल वर्मा को नियुक्त किया गया।
- संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा किया गया।
- संयुक्त राजस्थान की राजधानी उदयपुर को बनाया गया।
4. चतुर्थ चरण (वृहद राजस्थान):-
- संयुक्त राजस्थान में जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर और जयपुर रियासतो को मिलाकर 30 मार्च, 1949 को वृहद राजस्थान का निर्माण किया गया।
- वृहद राजस्थान की राजधानी जयपुर को निर्धारित किया गया।
- महाराज प्रमुख उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह को बनाया गया।
- नई सम्मिलित रियासत जयपुर के महाराजा मानसिंह द्वित्तीय को राजप्रमुख का पद सौंपा गया ।
- कोटा के महाराव भीम सिंह को उप-राजप्रमुख पद पर बने रहने दिया गया।
- वृहद राजस्थान का प्रधानमंत्री जयपुर के हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
- राजस्थान के एकीकरण के इस चरण (वृहद राजस्थान) का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा किया गया।
- वृहद राजस्थान के निर्माण से ही राजस्थान की स्थापना लगभग पूर्ण मानी जाती है, इसी उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 30 मार्च को राजस्थान का स्थापना दिवस मनाया जाता है।
5. पंचम चरण (संयुक्त वृहद राजस्थान):-
- 15 मई 1949 को राजस्थान के एकीकरण में पांचवे चरण में चौथे चरण के संयुक्त राजस्थान में मत्स्य संघ को मिलाकर संयुक्त वृहद राजस्थान का निर्माण किया गया।
- इस इकाई का महाराजा प्रमुख उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह को बनाया गया।
- जयपुर नरेश महाराजा मानसिंह को संयुक्त वृहद राजस्थान का उप राजप्रमुख का पद दिया गया।
- इस चरण में भी मुख्यमंत्री पद हीरालाल शास्त्री को बनाए रखा गया।
6. षष्ठम चरण (राजस्थान संघ):-
- राजस्थान के एकीकरण में छठे चरण में संयुक्त वृहद राजस्थान में सिरोही (आबू और देलवाडा को छोडकर) को मिला कर राजस्थान संघ का निर्माण 26 जनवरी 1950 को किया गया।
- पूर्व के चरण के अनुसार महाराणा भूपाल सिंह को महाराजा प्रमुख और जयपुर नरेश महाराजा मानसिंह को उप राजप्रमुख बनाए रखा गया।
- राज्यो की श्रेणी में राजस्थान को ह्यखह्ण श्रेणी में रखा गया।
- इस चरण में भी मुख्यमंत्री पद हीरालाल शास्त्री को बनाए रखा गया।
7. सप्तम चरण (राजस्थान):-
- 1 नवम्बर 1956 को एकीकरण के अंतिम चरण में राजस्थान संघ में अजमेर, मेरवाडा, आबू, देलवाडा और सुनेल टप्पा क्षेत्र (मंदसौर) को मिलाया गया।
- कोटा के सिरोंज क्षेत्र को मध्य प्रदेश को दिया गया।
- महाराजा प्रमुख और उप राजप्रमुख पदो को समाप्त कर दिया गया और राज्यपाल के पद का सृजन किया गया।
- सरदार गुरुमुख निहालसिंह को राजस्थान का प्रथम राज्यपाल बनाया गया।
- जयपुर को राजधानी निर्धारित कर मोहन लाल सुखाडिया को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्हे आधुनिक राजस्थान का निर्माता कहा जाता है।
- डॉ0 फजल अली की अध्यक्षता में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशो के आधार पर उपरोक्त व्यवस्था की गई।
- राज्य का नामकरण केवल राजस्थान किया गया।
- इस चरण में आकर राजस्थान का एकीकरण का कार्य पूर्ण हुआ।
- सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाकर राज्य उच्च न्यायालय जोधपुर में, राजस्व विभाग अजमेर में और शिक्षा विभाग बीकानेर में स्थापित किये गये।
- राजस्थान के एकीकरण के समय जैसलमेर के शासक महारावल जवाहर सिंह थे और उन्हे भारत की संविधान निर्मात्री सभा के लिये भी राजस्थान से मनोनीत किया गया था।