प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों से कैसे निखरता है व्यक्तित्व?
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों से कैसे निखरता है व्यक्तित्व?
साथियों वर्तमान समय में हमारे देश के लाखों-करोड़ों युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकारों द्वारा अपने-अपने विभागों में खाली पड़े पदों के लिए समय-समय पर भर्तियां निकाली जाती है। हर भर्ती के लिए अलग-अलग योग्यताएं एवं अलग-अलग मापदंड निर्धारित होते हैं। जिनके आधार पर प्रतियोगी इन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।
यदि हम कुछ साल पीछे जाएं तो देखेंगे कि पहले अधिकांश शहरी युवा एवं उच्च वर्गीय छात्र ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे। लेकिन अब इनके साथ ही ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्र भी बड़ी संख्या में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। बहुत से अभ्यर्थी अपने गांवों को छोड़कर शहरों में रहकर तैयारी करते हैं। ऐसे में इन परीक्षाओं में चयन पाने के लिए कंपीटीशन भी बहुत कठिन हो गया है।
आज किसी भी परीक्षा में पदों के मुकाबले अभ्यर्थी की संख्या कहीं ज्यादा होती है, ऐसे में सबका चयन होना संभव नहीं है। सफल वही हो पाता है जिसकी तैयारी पूरी होती है। बहुत से अभ्यर्थियों को निराशा हाथ लगती है, कुछ अभ्यर्थी केवल 1 या 2 नंबर से भी वंचित रह जाते हैं। कई अभ्यर्थी असफल होने के बाद निराशा हाथ लगने पर तैयारी छोड़ देते हैं।
निराश होने पर अभ्यर्थी को लगने लगता है कि उनका जीवन व्यर्थ है। कई बार अभ्यर्थी तनावग्रस्त होकर आत्महत्या जैसे बड़े कदम भी उठा लेते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने पर कुछ बड़े प्रश्न खड़े होते हैं जो अभ्यर्थियों को अपने आप से पूछने चाहिए-
- क्या प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने का मतलब जीवन में असफल होना है?
- क्या कोई भी परीक्षा आपके जीवन से बड़ी है?
- क्या किसी परीक्षा में फेल होने पर आप जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएंगे?
इन सभी सवालों का एक ही जवाब है - नहीं! क्योंकि ये परीक्षाएं आपके जीवन का एक हिस्सा हैं आपका जीवन नहीं। इन परीक्षाओं की तैयारी करने के दौरान आप अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर रहे होते हैं। इन परीक्षाओं की तैयारी से आपकी सोच का स्तर ऊपर उठता है। आइए बताते हैं कि कैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से आपका व्यक्तित्व निखरता है-
- ज्ञान का भंडार -
जो छात्र परीक्षाओं की तैयारी करते हैं उनके पास ज्ञान का असीम भंडार होता है। उन्हें संविधान और अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी होती है। ऐसा व्यक्ति जीवन में हमेशा अपने अधिकारों के प्रति सजग रहता है और दूसरों को भी अपने ज्ञान से प्रकाश मान करता है।
- समय का महत्व -
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र समय के महत्व को भली भांति समझते हैं। ऐसे व्यक्ति फिजूल बातों में अपना वक्त बर्बाद नहीं करते और असफल होने पर भी सतत् प्रयासों में लगे रहते हैं।
- अनुशासन -
सफल व्यक्ति के जीवन में अनुशास का अहम रोल होता है। जो छात्र मन लगाकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं वे अनुशासन का महत्व बहुत अच्छे से समझते हैं। यदि आपका चयन तैयारी करने के बाद भी नहीं होता है तो भी आप अपने जीवन में अनुशासन अपनाकर अन्य क्षेत्रों में सफलता अर्जित कर सकते हैं।
- अच्छे वक्ता -
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाला अभ्यर्थी अधिकारों, कानूनों, नियमों आदि के प्रति अधिक सजग होता है। क्योंकि उन्हें इन सब का ज्ञान अधिक होता है। इसलिए वे सामाजिक तौर पर अपनी बातों एवं विचारों को बेहतर ढंग से तर्कों के साथ रखते हैं। इसलिए वे एक अच्छे वक्ता भी साबित होते हैं। इसके साथ ही वे अपने साथ सामाजिक विकास करने में भागीदारी निभाते हैं।
- संवेदनशीलता का विकास -
परीक्षाओं की तैयारी करने वाले व्यक्ति में संवेदनशीलता का विकास होता है। ऐसे व्यक्ति में प्रकृति को समझने एवं उसके प्रति व्यवहार करने आदि के दृष्टिकोण में बदलाव आता है। परीक्षाओं की तैयारी में लगे अभ्यर्थी प्रकृति के महत्व को भी अच्छे से समझने लगते हैं ऐसे में वे अपने ज्ञान से पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैला सकते हैं।
- आत्मविश्वास -
तैयारियों के दौरान मिलने वाले ज्ञान से वह व्यक्ति दूसरों से अधिक आत्मविश्वास से भरा होता है। उनका दृष्टिकोण इतना गहन होता है कि वे खुद को बेहतर ढंग से जानने लगते हैं। उन्हें अपनी कमजोरियों और ताकत का अहसास होता है। ऐसे व्यक्ति यदि किसी परीक्षा के इंटरव्यू या लिखित परीक्षा में चयनित नहीं हो पाते तो भी वे हिम्मत नहीं हारते और प्रयासरत रहते हैं।
- समाज सुधारक -
हमारे समाज में बहुत से अंधविश्वास व्याप्त हैं। लेकिन परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी अंधविश्वास विरोधी होते हैं। ऐसे में समाज में व्याप्त अंधविश्वासों के खिलाफ पर्याप्त तर्क और उत्तम कारण रख सकते हैं और अवांछित अंधविश्वासों को खत्म कर सकते हैं।
तो साथियों उपरोक्त बातों से यह स्पष्ट है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी आपको एक बेहतर इंसान बनाती है। इसलिए यदि आपको मंजिल नहीं मिले तो भी आपको निराश नहीं होना चाहिए। बल्कि मंजिल की ओर जाते समय सफर के दौरान जो भी अनुभव और ज्ञान आपको मिला है उसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए। यदि आपको सफलता नहीं भी मिलती है तो भी आपको अनुभव मिलेंगे जिनको साधन के रूप में अपनाकर आप अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि -
"प्रयास करो सफल हुए तो नेतृत्व करोगे और असफल हुए तो मार्गदर्शन करोगे"