जानकारी राजस्थान के प्रमुख संग्रहालयों के बारे में

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07-May-2022 12+

जानकारी राजस्थान के प्रमुख संग्रहालयों के बारे में

साथियों यदि आप राजस्थान से जुड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो आपको पता ही होगा कि इन प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान से संबंधित अनेकों प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए राजस्थान के सामान्य ज्ञान को राजस्थान से जुड़ी हर प्रतियोगी परीक्षा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। राजस्थान में इस समय भर्तियों की भरमार है और आगामी महीनों में VDO, Computer Anudeshak, Vanpal Vanrakshak, REET, RPSC Second Grade जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित होगी।

 

इन परीक्षाओं में निश्चित रूप से राजस्थान से जुड़े असंख्य प्रश्न पूछे जाएंगे। इसलिए आपको राजस्थान के सामान्य ज्ञान की पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान में स्थित प्रमुख संग्रहालयों की जानकारी दे रहे हैं क्योंकि संग्रहालयों के बारे में कई प्रश्न पूछे जा चुके हैं और आगे भी पूछे जाएंगे। इस आर्टिकल से आपको संग्रहालयों के बारे में जानकारी होगी, इस लेख को आप अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें-

 

प्रिंस अल्बर्ट संग्रहालय - जयपुर

  • जयपुर के रामनिवास बाग में स्थित यह संग्रहालय राजस्थान का सबसे बड़ा और प्रथम संग्रहालय है।
  • इस संग्रहालय की नींव महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासन काल में 1876 ई. में प्रिंस अल्बर्ट के द्वारा रखी गई थी।
  • सन् 1887 में सर एडवर्ड बेडफोर्ड ने इस संग्रहालय का उद्घाटन किया था, इसके बाद इसे जनता के लिए खोला गया था।

 

राजकीय संग्रहालय - अजमेर

  • इसे राजपूताना म्यूजियम के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राचीन दुर्ग मैगजीन में स्थित है। मैगजीन दुर्ग को प्राचीन काल में अकबर का किला कहा जाता था।
  • 19 अक्टूबर 1908 को गर्वनर जनरल के एजेंट कॉल्विन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था और इसके बाद इसे जनता के लिए खोला गया।

 

राजकीय संग्रहालय – बीकानेर

  • इस संग्रहालय को गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम के नाम से भी जाना जाता है। 5 नवंबर 1937 को इस संग्रहालय का उद्घाटन गर्वनर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा किया गया था।
  • इस संग्रहालय में अनेक वस्तुओं का संग्रह इटली के डॉ. एल. पी. टेस्सीटोरी के द्वारा किया गया था।
  • इस संग्रहालय में पल्लू से प्राप्त जैन सरस्वती की आकर्षक प्रतिमा स्थित है।

 

करणी संग्रहालय - बीकानेर

  • यह संग्रहालय बीकानेर के ऐतिहासिक किले जूनागढ़ के गंगानिवास महल में स्थित है। इस संग्रहालय में महाराजा गंगासिंह द्वारा देश-विदेश से लाई गई वस्तुओं का संग्रह है।
  • बीकानेर शासकों के जीवन से जुड़ी घटनाओं, राठौड़ राजवंश के राज्यचिन्हों तथा प्राचीन अस्त्र-शस्त्रों के संग्रह की दृष्टि से करणी म्यूजियम महत्वपूर्ण स्थान है।

 

जैसलमेर संग्रहालय- जैसलमेर 

  • जैसलमेर संग्रहालय की नींव 5 दिसंबर 1979 को रखी गई थी एवं 14 फरवरी 1984 को इसका उद्घाटन कर जनसाधारण के लिए खोल दिया गया था।
  • यह संग्रहालय राजस्थान की प्राचीन वस्तुओं का संग्रहालय है। यह जैसलमेर के पोकरण में भादरिया में नामक स्थान पर स्थित है।

 

मेहरानगढ़ संग्रहालय - जोधपुर

  • यह संग्रहालय जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना 1922 में की गई थी।
  • इसमें जोधपुर राज परिवार की पीढ़ियों से संचित कलाकृतियां एवं वस्तुएं रखी गई है।
  • इसका प्रमुख आकर्षण राजाओं के सिंहासन, विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र, बग्घियां, पाग-पगड़ियां हैं।

 

जनजातीय संग्रहालय - उदयपुर

  • इस संग्रहालय की स्थापना माणिक्य लाल वर्मा जनजाति शोध संस्थान द्वारा 30 दिसंबर 1930 को की गई थी।
  • इस संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य राज्य की विभिन्न जन जातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को संरक्षित तथा प्रदर्शित करना है।

 

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय - जयपुर

  • जयपुर के रामनिवास बाग में स्थित जयपुर जंतुआलय में स्थित है यह संग्रहालय, इसकी स्थापना 1980 में की गई थी।
  • यह जीव-जतुंओ, पक्षियों तथा प्रकृति की जानकारी देने वाला प्रदेश का एकमात्र एवं अनोखा संग्रहालय है।
  • इस संग्रहालय के निर्माण का श्रेय वन्यजीव विशेषज्ञ पद्म श्री कैलाश सांखला को जाता है।

 

नाहटा संग्रहालय - चुरु

  • यह संग्रहालय चुरू जिले के सरदार शहर में स्थित है। यह विख्यात नाहटा परिवार का निजी संग्रहालय है।
  • इस संग्रहालय की विशेषता स्वर्गीय मालचंद जांगिड़ और उनके परिवार जनों द्वारा निर्मित उत्कृष्ट कलाकृतियां हैं।

 

सिटी पैलेस म्यूजियम - उदयपुर

  • यह संग्रहालय उदयपुर की पिछोला झील के किनारे स्थित भव्य राजमहल सिटी पैलेस में स्थित है।
  • इस संग्रहालय का निर्माण महाराणा अमर सिंह प्रथम के द्वारा करवाया गया था।
  • यह संग्रहालय राजपूती कला एवं संस्कृति के उत्कृष्ट नमूनों को पेश करता है।

 

आहट संग्रहालय - उदयपुर

  • यह राजस्थान के उदयपुर जिले में राजस्थान पुरातत्व विभाग की ओर से स्थापित किया गया है।
  • इस संग्रहालय में 4000 वर्ष पुरानी सभ्यताओं को प्रदर्शित किया गया है।
  • मिट्टी के बर्तन, लोहे की वस्तुएं और अन्य कलाकृतियाँ, जो मौलिक लोगों की जीवन शैली का हिस्सा थे, इस संग्रहालय में प्रदर्शित हैं।

 

राव माधो सिंह ट्रस्ट संग्रहालय - कोटा

  • इस संग्रहालय की स्थापना 1970 में राजस्थान दिवस के मौके पर यानि 30 मार्च को की गई थी।
  • इस संग्रहालय की स्थापना कोटा एवं हाड़ौती अंचल की कला, संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण एवं प्रदर्शन के उद्देश्य से किया गया था।
  • इस नाम कोटा के प्रथम प्रथम राजा महाराव माधोसिंह के नाम पर रखा गया।

 

लोक कला संग्रहालय- उदयपुर

  • इस संग्रहालय की स्थापना 22 फरवरी 1942 को प्रख्यात लोककलाविद् पद्श्री देवीलाल सामर ने की थी।
  • यह संग्रहालय भारतीय लोक कला मंडल परिसर उदयपुर में स्थित है।
  • इस संग्रहालय में प्रदर्शनकारी लोक कलाओं का मूल्यवान संग्रह है।

 

प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान - जोधपुर

  • इस संग्रहालय की स्थापना 1955 में जोधपुर में की गई थी। जोधपुर में मुख्यालय होने के अलावा जयपुर, अलवर, भरतपुर, कोटा उदयपुर एवं बीकानेर में इसकी 6 शाखाएं हैं।
  • इसकी स्थापना राजस्थान की प्राचीन पांडुलिपियों एवं राज्य की विद्या सामग्री को संग्रह करने के उद्देश्य से की गई थी।

 

गुड़िया संग्रहालय - जयपुर

  • 7 अप्रैल 1979 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत द्वारा इस संग्रहालय का उद्घाटन किया गया था।
  • यह जयपुर के जेएलएन मार्ग पर सेठ आनंदी लाल पोद्दार मूक-बधिर विद्यालय परिसर में स्थापित किया गया है इसे गुड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस सांस्कृतिक संग्रहालय में भारत सहित अनेक देशों की गुड़ियाएं रखी हुई है, ये भारत एवं विभिन्न देशों की कला एवं संस्कृति का प्रदर्शन करती है।

 

लोक वाद्यों का संग्रहालय- जोधपुर

  • यह संग्रहालय राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर में स्थापित किया गया है।
  • इस संग्रहालय में राजस्थान के तमाम वाद्य यंत्रों का संग्रह मिलता है।

 

उम्मेद भवन संग्रहालय - जोधपुर

  • जोधपुर में छीतर पैलेस के नाम से मशहूर उम्मेद भवन पैलेस में स्थित है यह संग्रहालय।
  • उम्मेद भवन का निर्माण 18 नंवबर 1929 को शुरू हुआ था 1942 में यह बनकर तैयार हुआ था।
  • इस संग्रहालय में मारवाड़ रियासत से जुड़े राजाओं के चित्र, उनका इतिहास, विटेंज कार कलेक्शन आदि देखने लायक हैं।

 

कालीबंगा संग्रहालय - हनुमानगढ़

  • यह संग्रहालय राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। इसकी स्थापना भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा 1983 में की गई थी।
  • यहां कालीबंगा सभ्यता के उत्खनन से प्राप्त कई आभूषण, बर्तन, खिलौने, औजार आदि संग्रह करके रखे गए हैं।

 

बिरला तकनीकी म्यूजियम - झुंझुनू

  • राजस्थान के झुंझुनू जिले के पिलानी में बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस संस्था के परिसर में बिरला तकनीकी म्यूजियम स्थित है।
  • इस म्यूजियम की स्थापना 1954 में की गई थी। इस संग्रहालय में भारत में विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में हो रहे विकास एवं उपलब्धियों को दर्शाने वाली दीर्घाएं स्थापित की गई है।

 

शार्दुल म्यूजियम - बीकानेर

  • बीकानेर के लालगढ़ पैलेस के एक भाग में सार्दुल संग्रहालय की स्थापना की गई है। इसे सार्दुल महल के नाम से भी जाना जाता है।
  • संग्रहालय में बीकानेर रियासत के इतिहास से जुड़ी तमाम वस्तुओं का अनुपम संग्रह है।

 

राजस्थान राज्य अभिलेखागार - बीकानेर

  • राजस्थान राज्य अभिलेखागार की स्थापना 1955 में जयपुर में की गई थी, 1960 में इसे बीकानेर में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • अभिलेखागार का प्रमुख कार्य राज्य के स्थाई अभिलेखों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करना है।
  • इसका मुख्यालय बीकानेर में तथा जयपुर, कोटा, उदयपुर, अलवर, भरतपुर, एवं अजमेर में इसकी शाखाएं हैं।

 

सरदार म्यूजियम - जोधपुर

  • इस संग्रहालय की स्थापना 1909 में की गई थी, जब लॉर्ड किचनर जोधपुर आया था।
  • किचनर को दिखाने के लिए मारवाड़ रियासत की विभिन्न प्रकार की हस्तकला वस्तुएं एकत्र की गई और उन्हें एक स्थान पर प्रदर्शित करने के लिए इस म्यूजियम की स्थापना की गई। उस समय जोधपुर के शासक महाराजा सरदार सिंह थे।

 

महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश केंद्र - जोधपुर

  • यह जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में स्थित है। इसकी स्थापना 2 जनवरी 1805 को की गई थी।
  • इस केंद्र का मुख्य लक्ष्य कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में विद्यमान शोध सामग्री का आधुनिक दृष्टिकोण से अनुसंधान करना है।

 

हल्दीघाटी संग्रहालय - राजसमंद

  • मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी तमाम घटनाओं का वर्णन इस म्यूजियम में बहुत ही शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
  • यह राजसमंद जिले में स्थित है और इसका निर्माण उदयपुर के एक शिक्षक मोहनलाल श्रीमाली के प्रयासों से हुआ।
  • 19 जनवरी 2003 को राजस्थान के राज्यपाल अंशुमान सिंह ने इसका उद्घाटन किया था।

 

झालावाड़ संग्रहालय

  • हाड़ौती क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए 1915 में झालावाड़ के तत्कालीन महाराजा भवानी सिंह ने इस संग्रहालय की स्थापना करवाई।
  • उस समय इसका नाम आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम था। इस संग्रहालय में हाड़ौती क्षेत्र के शिलालेख, सिक्के, अस्त्र-शस्त्र, दुर्लभ चित्र आदि बहुत सारी वस्तुओं का संग्रह है।

 

श्री बांगड़ राजकीय संग्रहालय- पाली

  • पाली जिला मुख्यालय पर स्थित श्री बांगड़ राजकीय संग्रहालय का निर्माण कार्य 26 अप्रैल 1982 को शुरू हुआ तथा इसका उद्घाटन 19 जुलाई 1991 को किया गया।
  • इस संग्रहालय में पाली एवं मारवाड़ क्षेत्र में मानव सभ्यता के ऊषा काल से लेकर वर्तमान युग तक विकसित सभ्यता एवं संस्कृति को देखा जा सकता है।

 

सिटी पैलेस संग्रहालय- जयपुर

  • सिटी पैलेस संग्रहालय जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। सिटी पैलेस एक शाही महल जिसमें आज भी राजपरिवार निवास करता है।
  • सिटी पैलेस का निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1729 से 1732 के बीच करवाया था। इसका कुछ हिस्सा संग्रहालय के तौर पर 1959 में खोला गया था।
  • सिटी पैलेस की भवन शैली राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैली का अद्भुत मिश्रण है।

 

सर छोटू राम स्मारक संग्रहालय - हनुमानगढ़

  • यह स्मारक हनुमानगढ़ जिले के संगरिया कस्बे में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना स्वामी केशवानंद द्वारा की गई थी।
  • स्वतंत्रता सेनानी तथा संयुक्त पंजाब के किसान नेता सर छोटूराम के संगरिया आगमन पर इस संग्रहालय का नाम सर छोटूराम संग्रहालय कर दिया गया।

 

लोक संस्कृति शोध संस्थान, नगर श्री- चुरू

  • इस संग्रहालय की स्थापना 1964 में प्रसिद्ध इतिहासकार श्री गोविंद अग्रवाल ने रामनवमी के दिन की थी।
  • यहां भडंग, पल्लू, कालीबंगा, रंगमहल, सोथी एवं करोती के थेहड़ों से प्राप्त हजारों वर्षों पुरानी पुरातत्विक सामग्री मौजूद है।

 

चित्तौड़गढ़ संग्रहालय 

  • इस संग्रहालय की स्थापना राजस्थान सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा 1968 में चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित फतेह प्रकाश महल में की गई थी।
  • इस भवन का निर्माण महाराणा फतेहसिंह द्वारा दुर्ग के मध्य भाग में करवाया गया था।
  • इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाएं, प्राचीन काल की धातु प्रतिमाएं, काष्ठ कलाकृतियां आदि का अनुपम संग्रह है।

 

श्री रामचरण प्राच्य विद्या पीठ एवं संग्रहालय- जयपुर

  • इस संग्रहालय की स्थापना आचार्य रामचरण शर्मा व्याकुल द्वारा 1960 में की गई थी। 1979 में इसे पंजीकृत न्यास बनाया गया था।
  • इसके दो प्रमुख विभाग हैं- प्राच्य विद्यापीठ और प्राच्य संग्रहालय
  • यह विद्यापीठ प्राचीन पाण्डुलिपियों की खोज, प्रकाशन, संरक्षण तथा संग्रहण करता है।

 

अलवर संग्रहालय 

  • इस संग्रहालय की स्थापना अलवर रियासत के अंतिम शासक तेजसिंह के शासन काल में 1940 में की गई थी, मेजर हार्वे का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान था।
  • संग्रहालय में दुर्लभ शिलालेख, हस्तलिखित ग्रंथ, अस्त्र-शस्त्र, प्रतिमाएं आदि को प्रदर्शित किया गया है।

 

विक्टोरिया हॉल म्यूजियम, गुलाब बाग- उदयपुर

  • 1887 में महाराणा फतेह सिंह ने महारानी विक्टोरिया के शासन की स्वर्ण जयंती के अवसर पर उदयपुर के सज्जन निवास बाग में विक्टोरिया हॉल का निर्माण करवाया।
  • 1 नवंबर 1890 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लेन्सडाउन ने इस भवन में विक्टोरिया हॉल म्यूजियम और पुस्तकालय का निर्माण करवाया।

 

राजकीय संग्रहालय भरतपुर

  • भरतपुर राजकीय संग्रहालय भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग परिसर में स्थित है। इस संग्रहालय में दुर्लभ पुरातन कलाकृतियां और दुर्लभ पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की गई है।
  • वर्तमान संग्रहालय भवन रियासत काल में भरतपुर रियासत का प्रशासनिक कार्यालय था और इसे कचहरी कलां के नाम से जाना जाता था।

 

सरस्वती पुस्तकालय - सीकर

  • राजस्थान के शेखावटी के सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में स्थित है श्री सरस्वती पुस्तकालय। यहां देश विदेश की संस्कृति, साहित्य, धर्म, राजनीतिक, दर्शन, विज्ञान की जानकारी देने वाले दुर्लभ, अलम्य ग्रंथो का संकलन किया गया है
  • श्री वासुदेव गोयनका एवं श्री बजरंग लाल लोहिया के प्रयासों से 14 मई 1910 को इस पुस्तकालय की स्थापना 100 पुस्तकों के साथ की गई थी।

 

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