राजस्थान की भौगोलिक- स्थिति एक सामान्य परिचय
राजस्थान की भौगोलिक- स्थिति एक सामान्य परिचय
साथियों राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान के बारे में अनिवार्य रूप से पूछा जाता है। इसलिए यदि आप राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं तो आपको अन्य विषयों के साथ राजस्थान के बारे में भी विस्तृत जानकारी होनी चाहिए।
राजस्थान के इतिहास, भूगोल और कला-संस्कृति से जुड़े कई सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसलिए राजस्थान की पूरी जानकारी हमें होनी ही चाहिए तभी जाकर हम प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर पाएंगे। इस लेख में आपको राजस्थान की भौगोलिक स्थिति का सामान्य परिचय मिलेगा। भौगोलिक स्थितियों पर भी परीक्षाओं में कई प्रश्न पूछे जाते हैं और इस लेख से आपको राजस्थान की भौगोलिक स्थिति समझने में मदद मिलेगी।
राजस्थान परिचय
राजस्थान की स्थिति एवं विस्तार
- भारत क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश है और राजस्थान क्षेत्रफल के आधार पर इस देश का सबसे बड़ा राज्य है जो भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित है।
- राजस्थान का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है और भारत के 10.41 प्रतिशत भाग पर फैला हुआ है।
- राजस्थान का अक्षांशीय व देशांतरीय विस्तार 23° 03‘ उत्तरी अंक्षाश से 30° 12‘ उत्तरी अंक्षाश एवं 69° 30‘ पूर्वी देशान्तर से 78° 17‘ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है अर्थात् राजस्थान राज्य 7°09‘ अक्षांशों एवं 8° 47‘ देशांतरों के मध्य स्थित है।
- कर्क रेखा (साढ़े तेईस डिग्री उत्तरी अक्षांश) राजस्थान के डूंगरपुर जिले के दक्षिण से तथा बाँसवाड़ा जिले के लगभग मध्य में से गुजरती है।
- कर्क रेखा का राजस्थान में विस्तार 26 किमी है।
- कर्क रेखा के सर्वाधिक नजदीक मुख्यालय बाँसवाड़ा एवं सर्वाधिक दूर जिला मुख्यालय श्रीगंगानगर है।
- उत्तर में कोणा गाँव (गंगानगर) से दक्षिण में बोरकुण्ड गाँव (कुशलगढ़ तहसील, बाँसवाडा) तक राजस्थान का विस्तार 826 किलोमीटर है। राजस्थान की पश्चिम से पूर्व की लम्बाई 869 किलोमीटर (पश्चिम में कटरा गाँव (जैसलमेर तक) से पूर्व में सिलान गाँव (राजाखेड़ा तहसील, धौलपुर) तक, है।
- राजस्थान की उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की लम्बाई 850 किलोमीटर तथा उत्तर पूर्व से दक्षिण पूर्व तक के विकर्ण की लंबाई 784 किलोमीटर है।
- राजस्थान की उत्तर से दक्षिण व पूर्व से पश्चिम की सीमा मिलाने पर नागौर जिले का मूंडवा स्थान दोनों तरफ से आता है।
राजस्थान की सीमाएं
- राजस्थान की उत्तर और उत्तर पूर्वी सीमा पंजाब तथा हरियाणा से पूर्वी सीमा उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश से दक्षिणी पूर्वी सीमा मध्य प्रदेश से तथा दक्षिणी और दक्षिणी पश्चिमी सीमा क्रमशः मध्य प्रदेश तथा गुजरात से संयुक्त रूप से लगती है।
- राज्य की पश्चिमी सीमा पाकिस्तान से लगी हुई है।
- राजस्थान की कुल स्थलीय सीमा 5920 किमी है जिसमें से 1070 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा जिसे रेडक्लिफ रेखा कहा जाता है।
- रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान के मध्य है।
- राजस्थान की अंतर्राज्यीय सीमा 4850 किमी है।
- गंगानगर बीकानेर जैसलमेर बाड़मेर की सीमा पाकिस्तान को स्पर्श करती है।
- पाकिस्तान से लगने वाली सर्वाधिक लंबी सीमा जैसलमेर की है और सबसे छोटी सीमा बीकानेर जिले की है।
- रेडक्लिफ रेखा अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा उत्तर में श्री गंगानगर जिले के हिंदूमलकोट से प्रारंभ होकर दक्षिण में बाड़मेर जिले के शाहगढ़ बाखासर गांव में समाप्त होती है।
- अंतर्राज्यीय सीमाओं में राजस्थान की सर्वाधिक लंबी अंतर्राज्यीय सीमा मध्य प्रदेश (1600 किलोमीटर) से लगती है तथा सबसे कम अंतर्राज्यीय सीमा पंजाब (89 किलोमीटर) राज्य से लगती है।
- श्री गंगानगर पंजाब के साथ सर्वाधिक सीमा
- हनुमानगढ़ पंजाब के साथ न्यूनतम सीमा
- हनुमानगढ़ हरियाणा के साथ सर्वाधिक सीमा
- जयपुर हरियाणा के साथ न्यूनतम सीमा
- भरतपुर उत्तर प्रदेश के साथ सर्वाधिक सीमा
- धौलपुर उत्तर प्रदेश के साथ न्यूनतम सीमा
- झालावाड मध्य प्रदेश के साथ सर्वाधिक सीमा
- भीलवाड़ा मध्य प्रदेश के साथ न्यूनतम सीमा
- उदयपुर गुजरात के साथ सर्वाधिक सीमा
- बाड़मेर गुजरात के साथ न्यूनतम सीमा
- झालावाड़ सर्वाधिक अंतर राज्य सीमा रेखा वाला जिला
- बाड़मेर न्यूनतम अंतर राज्य सीमा रेखा वाला जिला
राज्य के संभाग-
- राजस्थान में संभागीय व्यवस्था की शुरूआत 1949 में हीरालाल शास्त्री सरकार द्वारा की गई। अप्रेल, 1962 में मोहनलाल सुखाड़िया सरकार संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। 15 जनवरी 1987 को हरिदेव जोशी के द्वारा संभागीय व्यवस्था को पुनः शुरू कर दिया गया।
- 1987 में अजमेर को राजस्थान का छठा संभाग बनाया गया। 4 जून 2005 को भरतपुर राजस्थान का 7वां संभाग बना। भरतपुर संभाग जयपुर (भरतपुर व धौलपुर) तथा कोटा (सवाई माधोपुर व करौली) से अलग होकर बना।
संभाग एवं जिले
1. जयपुर संभाग - जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर तथा झुंझूनू
2. जोधपुर संभाग - जोधपुर, जालौर, पाली, बाड़मेर, सिरोही व जैसलमेर
3. भरतपुर संभाग - भरतपुर, धौलपुर, करौली व सवाई माधोपुर
4. कोटा संभाग - कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड
5. उदयपुर संभाग - उदयपुर, राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व प्रतापगढ़
6. बीकानेर संभाग - बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ व चुरू
7. अजमेर संभाग - अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक व नागौर
संभागो से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य-
1.अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाले संभाग = 2 (बीकानेर व जोधपुर)
2. सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग = जोधपुर
3. अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित संभागीय मुख्यालय = श्रीगंगानगर
4. अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर क्षेत्रफल में बड़ा संभाग = जोधपुर
5. अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाले संभाग = 7
6. सर्वाधिक अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग = उदयपुर
7. न्युनतम अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग = अजमेर
8. अन्तर्राज्यीय सीमा के सबसे निकट स्थित संभागीय मुख्यालय = भरतपुर
9. अन्तर्राज्यीय सीमा के सबसे दूर स्थित संभागीय मुख्यालय = जोधपुर
10. अन्तर्राज्यीय सीमा पर क्षेत्रफल में बड़ा संभाग =जोधपुर
11. अन्तर्राज्यीय सीमा पर क्षेत्रफल में छोटा संभाग = भरतपुर
12. दो बार अन्तर्राज्यीय सीमा बनाने वाला संभाग = उदयपुर
13. राज्य का मध्यवर्ती संभाग = अजमेर
14. सर्वाधिक संभागो की सीमा लगने वाला संभाग = अजमेर (6)
15. सर्वाधिक नदियों वाला संभाग = कोटा
16. न्यूनतम नदियों वाला संभाग = बीकानेर
17. 6 जिलो वाले संभाग = 2 (जोधपुर व उदयपुर)
18. 5 जिलो वाला संभाग = 1 (जयपुर)
19. 4 जिलो वाले संभाग = 4 (बीकानेर, कोटा, अजमेर व भरतपुर)
राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्र के उपनाम-
छप्पन का मैदान - बासवाडा व प्रतापगढ़ के मध्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है। (56 गावों का समूह या 56 नालों का समूह)
नाकोड़ा पर्वत/छप्पन की पहाड़ियाँ - बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ियों का समुह नाकोड़ा पर्वत/छप्पन की पहाड़ियाँ कहलाती है।
देशहरो - उदयपुर में जरगा (उदयपुर) व रागा (सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्र सदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।
गिरवा - उदयपुर में चारों ओर पहाड़ियाँ होने के कारण उदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।
बीहड़/डाग/खादर - चम्बल नदी सवाई माधोपुर करौली धौलपुर में बडे़-बडे़ गड्डों का निर्माण करती है इन गड्डों को बीहड़/डाग/खादर नाम से पुकारा जाता है। यह क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है।
भाखर/भाकर - पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों का क्षेत्र भाकर/भाखर कहलाता है।
कांठल - माही नदी के किनारे-किनारे (कंठा) प्रतापगढ़ का भू-भाग कांठल है इसलिए माही नदी को कांठल की गंगा कहते है।
लाठी सीरीज क्षेत्र - जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ़ तक (60किलोमीटर) पाकिस्तानी सीमा के सहारे विस्तृत एक भू-गर्भीय मीठे जल की पेटी। इसी लाठी सीरीज के ऊपर सेवण घास उगती है।
पीडमांट मैदान - अरावली श्रेणी में देवगढ़ (राजसमंद) के समीप पृथक निर्जन पहाड़ियां जिनके उच्च भू-भाग टीले नुमा है पीडमांट कहलाते हैं।
कूबड़ पट्टी - अजमेर, नागौर के आस-पास का क्षेत्र जहाँ जल में फ्लोराइड़ कि मात्रा अधिक होती है। जिससे शारीरिक विकृति(कूबड़) होने की सम्भावना हो जाती है।
धरियन - जैसलमेर जिले का बालुका स्तुप युक्त क्षेत्र जहाँ जनसंख्या ‘न’ के बराबर है धरियन कहलाता है।
राठ - अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा से लगता है राठ कहते है।
भोराठ/भोराट का पठार - उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग।
मालवा का क्षेत्र - झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है।
लिटिल रण - राजस्थान में कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र को लिटिल रण कहते है।
माल खेराड़ - ऊपरमाल व खेराड़ क्षेत्र सयुंक्त रूप में माल खेराड़ कहलाता है।
लासड़िया का पठार - उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग।
सुजला क्षेत्र - सीकर, चुरू व नागौर सयुंक्त रूप से सुजला क्षेत्र कहलाता है।
खेराड़ - भीलवाड़ा व टोंक का वो क्षेत्र जो बनास बेसिन में स्थित है।
पुष्प क्षेत्र - डुंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है।
भोमट - डुंगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिले का आदिवासी प्रदेश।
मगरा - उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।
बग्गी - घग्घर नदी के उत्तरी उपजाऊ क्षेत्र को बग्गी कहा जाता है।
बांगड़/बांगर - शेखावाटी व मरूप्रदेश के मध्य संकरी पेटी।
देवल/ मेवल - डूंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।
शिवि/मेदपाट/प्राग्वाट - उदयपुर व चित्तौड़गढ़(मेवाड़)।
मालानी - जालौर ओर बालोतरा के मध्य का भाग।
नाल - अरावली के दर्रों को नाल कहा जाता है।
जांगल प्रदेश - बीकानेर तथा उत्तरी जोधपुर।
गूजर्राजा - जोधपुर का दक्षिण का भाग।
ढूढ़ाड़ - जयपुर के आस-पास का क्षेत्र।
कोठी - धौलपुर (सुनहरी कोठी-टोंक)।
चन्द्रावती - सिरोही व आबु का क्षेत्र।
शूरसेन - भरतपुर, धौलपुर, करौली।
गोडवाड - बाड़मेर, जालौर सिरोही।
योद्धेय - गंगानगर व हनुमानगढ़।
कुरू - अलवर का कुछ हिस्सा।
शेखावाटी - चुरू, सीकर झुंझुंनू।
वागड़ - डूंगरपुर व बांसवाड़ा।
माल/वल्ल - जैसलमेर।
मेवात - उत्तरी अलवर।
अरावली - आडवाल।