क्यों बेहद खास हैं IAC विक्रांत जानिए सब कुछ

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03-Sep-2022 12+

क्यों बेहद खास हैं IAC विक्रांत जानिए सब कुछ

वर्ष 1971, जब पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला किया और भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन भारतीय सेनाओं और सुरक्षा बलों ने पाक के नापाक मंसूबो पर पानी फेर दिया। हमारी थल सेना, जल सेना और वायु सेनाओं के सामने पाक को मुंह की खानी पड़ी। वायु और थल सेनाओं के साथ जल सेना ने भी इस जीत में प्रमुख योगदान दिया, जब भारत का विमान वाहक पोत - INS विक्रांत पाकिस्तान के युद्धपोतों, पनडुब्बियों और जहाजों के सामने मौत बनकर खड़ा था।

 

INS विक्रांत ने 36 वर्ष देश की सेवा की थी, लेकिन यह विक्रांत भारत ने ब्रिटेन से मंगवाया था। लेकिन 2022 में भारत ने स्वदेशी विमानवाहक पोत लॉन्च कर दिया है। यह विमानवाहक पोत INS विक्रांत से दुगना बड़ा और कहीं ज्यादा पावरफुल है और सबसे अच्छी बात यह है कि इसका नाम भी भारत के पुराने विमानवाहक पोत के नाम पर ही रखा गया है। इसका नाम है - IAC विक्रांत

 

2 सितंबर 2022 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने IAC विक्रांत को कमीशन किया और अब यह हमारी सेना की और हमारे देश की ताकत को बढ़ाएगा। साथियों आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में IAC विक्रांत से संबंधित कई प्रश्न पूछे जा सकते हैं इसलिए इस लेख में आपको इस युद्धपोत की पूरी जानकारी मिलेगी। इसलिए इस लेख का ध्यानपूर्वक पढ़ें और IAC विक्रांत की खास बातों के बारे में जानिए और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें।

 

क्या होता है विमान वाहक पोत या एयरक्राफ्ट कैरियर?

 

एयरक्राफ्ट या विमान वाहक पोत समंदर में चलता-फिरता एयरफोर्स स्टेशन है। यह एक लड़ाकू जहाज है जो एयरबेस का कार्य भी करता है। यानि लड़ाकू विमानों को इस पर उतारा जाता है, इस पर एक रनवे भी होता है, इस पर एयक्राफ्ट की पार्किंग से लेकर उन्हें हथियारों से लैस करने एवं उनके रख रखाव करने का कार्य भी किया जाता है। IAC विक्रांत इतना विशाल है कि इससे अलग-अलग तरह के 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट ऑपरेट हो सकते हैं, जिसमें फाइटर एयरक्राफ्ट, अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर, ऐंटी सबमरीन हेलिकॉप्टर शामिल हैं। इस तरह विमानवाहक पोत तमाम लड़ाकू जहाजों और विध्वंसक पोतों के लिए छावनी की तरह काम करते हैं ताकि वे अपना मिशन पूरा कर सकें।

 

 

विक्रांत नाम क्यों रखा गया?

 

विक्रांत शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है, विक्रांत में ‘वी’ उपसर्ग विशिष्ट या असाधारण को दर्शाता है, वहीं ‘क्रांत’ प्रत्यय का अर्थ है एक दिशा में आगे बढ़ना या आगे बढ़ाना। भारतीय नौसेना ने कहा, “विक्रांत को शामिल करना और उनका पुनर्जन्म न केवल हमारी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है, बल्कि 1971 के युद्ध के दौरान राष्ट्र की स्वतंत्रता और हमारे बहादुर सैनिकों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को भी हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है।” भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के प्रति प्यार और सम्मान की भावना के चलते नये विमानवाहक युद्धपोत का नाम भी विक्रांत ही रखा गया है।

 

कितना स्वदेशी है IAC विक्रांत -

 

  • IAC विक्रांत एक स्वदेशी विमानवाहक पोत है, हालांकि नौसेना के मुताबिक इस पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में उपलब्ध संसाधनों से बना है। बाकि 24 फीसदी हिस्से के लिए विदेशों में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया गया है।

 

  • विक्रांत के निर्माण के लिए युद्धपोत स्तर का स्टील चाहिए था जो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) से तैयार करवाया गया। इस स्टील को तैयार करने में भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) की भी मदद ली गई। बताया गया है कि SAIL के पास अब युद्धपोत स्तर की स्टील बनाने की जो क्षमता है, जो आगे भी देश के विकास में योगदान देगी।

 

  • नौसेना के अनुसार, इस युद्धपोत की जो चीजें स्वदेशी हैं, उनमें 23 हजार टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक केबल, 150 किलोमीटर के बराबर पाइप और 2000 वॉल्व शामिल हैं। इसके अलावा एयरक्राफ्ट कैरियर में शामिल हल बोट्स, एयर कंडीशनिंग से लेकर रेफ्रिजरेशन प्लांट्स और स्टेयरिंग से जुड़े कलपुर्जे देश में ही बने हैं।

 

  • आधिकारिक जानकारी के अनुसार, भारत के कई बड़े औद्योगिक निर्माताओं ने इस एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण में सहयोग किया। इनमें भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BEL), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), किर्लोस्कर, एलएंडटी (L&T), केल्ट्रॉन, GRSE , वार्टसिला इंडिया और अन्य शामिल रहे। इसके अलावा 100 से भी ज्यादा मध्यम और लघु उद्योगों ने भी इस पोत पर लगे स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी के निर्माण में मदद की।

 

  • नौसेना के मुताबिक इस युद्धपोत को बनाने में 50 भारतीय उत्पादक शामिल रहे। इसके निर्माण के दौरान हर दिन दो हजार भारतीयों को सीधे तौर पर रोजगार मिला, जबकि 40,000 अन्य को परोक्ष तरीके से इस प्रोजेक्ट में काम करने का मौका मिला। इस पोत को बनाने में लगी 23 हजार करोड़ रुपये की लागत का 80-85 फीसदी वापस भारतीय अर्थव्यवस्था में ही लगा दिया गया।

 

 

IAC विक्रांत की खासियत और क्षमताएं -

 

  • केरल के कोचिन शिपयार्ड में IAC विक्रांत को बनाया गया है। इसका वज़न करीब 45000 टन यानि 4 करोड़ 50 लाख किलोग्राम है। इसकी लंबाई 262 मीटर यानि 860 फीट और चौड़ाई 62 मीटर यानि 203 फीट है। इसके कुल क्षेत्रफल की बात की जाए तो यह 2.5 एकड़ है। युद्धपोत में 14 डेक हैं और 1700 से ज्यादा क्रू को रखने के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स हैं। इनमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन बनाए गए हैं। इसमें जनरल इलेक्ट्रिक टरबाइन लगे हैं, जो इसे 1.10 लाख हॉर्सपावर की ताकत देते हैं। इसकी स्ट्राइक रेंज 1500 किलोमीटर है, लेकिन सेलिंग रेंज 15 हजार किमी है।

 

  • IAC विक्रांत पर मिग - 29 K फाइटर जेट्स, अमेरिकी MH-60 R मल्टीरोल नेवल हेलिकॉप्टर, जिसे ‘रोमियो हेलिकॉप्टर’ भी कहा जाता है,  भारतीय ALH - ध्रुव और कामोव KA -31 AEW हेलिकॉप्टर तैनात होंगे। भविष्य में इस पर दुनिया के बेस्ट नौसैनिक फाइटर जेट्स की तैनाती भी की जा सकती है। जिसके लिए फिलहाल राफेल, सुपर हॉर्नेट समेत कई फाइटर जेट्स में जंग जारी है। नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है।

 

  • IAC विक्रांत की असली ताकत सामने आती है समुद्र में, जहां इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉट्स तक है। यानी करीब 51 किमी प्रतिघंटा। इसकी सामान्य गति 18 नॉट्स यानी 33 किमी प्रतिघंटा तक है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 7500 नॉटिकल मील यानी 13,000+ किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।

 

  • IAC विक्रांत पर अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किचन भी मौजूद है, इस रसोई में लगे सभी यंत्र ऑटोमैटिक है, जिनमें खाद्य सामग्री डालने पर भोजन ऑटोमैटिक तैयार हो जाता है। इस युद्धपोत के रसोईघर को “गैली” कहा जाता है, और इस पर 3 गैली हैं। इन तीन गैली में भोजन की 5000 थालियां तैयार हो सकती है। इस पोत पर हमेशा 1500 से 1700 सैनिकों की तैनाती होगी जिनके लिए खाना बनाना एक बड़ी चुनौती है जिसमें गैली का योगदान अहम होगा। गैली में नौसैनिक तीन शिफ्ट में 20 घंटे लगातार काम करते हैं।

 

  • IAC विक्रांत पर 16 बेड्स वाला अस्‍पताल भी मौजूद है। हर वक्‍त यहां 5 मेडिकल ऑफिसर्स और 25 असिस्‍टेंट्स तैनात रहते हैं। शिप में मेडिकल/जनरल वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, फीमेल वार्ड, कैजुअल्‍टी और ICU है। किसी भी तरह की इमरजेंसी में यहीं पर इलाज मिलेगा। सीटी स्‍कैन वाले एरिया में लेड-माउंटेड दीवारें हैं ताकि रेडिएशन से प्रोटेक्‍शन मिले।

 

  • IAC विक्रांत में 2,500 किलोमीटर से ज्‍यादा लंबे पावर केबल्‍स का उपयोग हुआ है। इन केबल्स की लंबाई इतनी है कि इससे कोच्चि से दिल्ली तक की दूरी नापी जा सकती है। IAC विक्रांत में 3-3 मेगावॉट के 8 डीजल ऑल्‍टरनेटर्स लगे हैं जो कुल 24 मेगावॉट बिजली पैदा करते हैं। इतनी बिजली से 5000 से भी अधिक घरों को रोशन किया जा सकता है।

 

  • IAC विक्रांत के हैंगर बे का साइज फुटबॉल के दो मैदानों से भी बड़ा है। हैंगर बे वो जगह होती है जहां पर एयरक्राफ्ट का स्‍टोरेज और मेंटेनेंस होता है। इसपर एकसाथ 20 एयरक्राफ्ट पार्क किए जा सकते हैं। हैंगर बे फ्लाइट डेक से पांच डेक नीचे है। हैंगर बे से डेक तक एयरक्राफ्ट को लाने और वापस ले जाने के लिए दो बड़े एलिवेटर्स लगे हैं।

 

  • IAC विक्रांत का फ्लाइट डेक 12,450 वर्गमीटर में फैला हुआ है। यहां पर 12 फाइटर जेट और 6 हेलिकॉप्‍टर्स पार्क किए जा सकते हैं। डेक पर दो रनवे हैं, एक छोटा और दूसरा बड़ा। फ्लाइट डेक पर मिलिट्री गेड नॉन-स्किड पेंट से कोटिंग की गई है और रीफ्यूलिंग का भी इंतजाम है।

 

  • IAC विक्रांत का ऑप्‍स रूम बड़ा खास है। कौन सी गन यूज करनी है, कौन से एयरक्राफ्ट को भेजना है, कैरियर बैटल ग्रुप का फॉर्मेशन क्‍या होगा, यह सब यहीं पर प्‍लान होता है। यहां पर कॉम्‍बैट मैनेजमेंट सिस्‍टम, वेपंस कंट्रोल्‍स और सेंसर्स, इलेक्‍ट्रानिक चार्ट्स, रडार कंट्रोल्‍स लगे हैं। इलेक्ट्रिक रूम में पूरे कैरियर की बिजली व्‍यवस्‍था का हेडक्‍वार्टर रहता है।

 

 

INS विक्रांत और IAC विक्रांत में अंतर

 

  • भारत में बने पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम IAC विक्रांत रखा गया है। इससे पहले ब्रिटेन से खरीदे गए भारत के पहले विमानवाहक पोत- HMS हरक्यूलीस का नाम INS विक्रांत ही था। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
  • INS विक्रांत यानि पुराना विक्रांत 700 फीट लंबा था वहीं, नया विक्रांत 862 फीट लंबा है।
  • पुराने युद्धपोत की रफ्तार 46 किलोमीटर प्रतिघंटा  थी। वहीं, नए युद्धपोत की रफ्तार 51 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
  • पुराने विक्रांत में 40 हजार हॉर्सपॉवर के इंजन थे। नए में ये 1.10 लाख हॉर्सपॉवर के हैं।
  • पुराने विक्रांत में 1,110 नौसैनिक रह सकते थे। नए में 1,700 नौसैनिक रह सकते हैं।  
  • इसके साथ ही नए विक्रांत में नए और आधुनिक हथियार लगे हैं। जबकि, पुराने विक्रांत में उस दौर के हथियार लगे थे।
  • भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के प्रति प्यार और सम्मान की भावना के चलते नये विमानवाहक युद्धपोत का नाम भी विक्रांत ही रखा गया है।

 

तो साथियों ये थीं भारत के नये विमानवाहक पोत IAC विक्रांत के बारे में जानकारी, प्रतियोगी परीक्षाओं में IAC विक्रांत से संबंधित प्रश्न जरूर पूछे जाएंगे इसलिए आप इसकी बुनियादी बातों को अवश्य कंठस्थ कर लें और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

 

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