राजस्थान के प्रमुख ग्रंथ एवं उनके रचनाकार

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11-Jun-2022 12+

राजस्थान के प्रमुख ग्रंथ एवं उनके रचनाकार

साथियों राजस्थान की प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ टॉपिक्स ऐसे हैं जिन टॉपिक्स में से हर परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसा ही एक टॉपिक है राजस्थान की साहित्यिक रचनाएं। राजस्थान के साहित्यिक ग्रंथों एवं उनके रचनाकारों के बारे में राजस्थान से जुड़ी हर प्रतियोगी परीक्षा में प्रश्न अनिवार्य रूप से पूछा जाता है। इसलिए यदि आप Computer Anudeshak, VDO Mains, REET, Lab Assistant आदि आगामी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो आपको इस टॉपिक के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि परीक्षाओं में 1 या 2 प्रश्न इस टॉपिक में से जरूर पूछे जाते हैं।

 

इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान के प्रमुख साहित्य एवं उनकी रचयिताओं के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। इनसे संबंधित प्रश्न अधिकांश परीक्षाओं में पूछे गए हैं।

 

  • पृथ्वीराज रासो -

रचनाकार - चन्दरबरदाई

इसमें अजमेर के अंतिम शासक पृथ्वीराज चौहान के बारे में बताया गया है। यह पिंगल भाषा में रचित वीर रस का महाकाव्य है। पृथ्वीराज रासो को चन्दरबरदाई की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जल्हण ने पूरा किया था।

 

  • पृथ्वीराज विजय

रचनाकार - जयानक भट्ट

संस्कृत भाषा के इस ग्रंथ में पृथ्वीराज चौहन के वंशक्रम एवं उनकी उपलब्धियों का वर्णन किया गया है।

 

  • बीकानेर रा राठौड़ री ख्यात

रचनाकार - दयालदास

इसमें जोधपुर एवं बीकानेर के राठौड़ों के प्रारंभ से लेकर बीकानेर के महाराजा सरदार सिंह के राज्याभिषेक तक की घटनाओं का वर्णन किया गया है।

 

 

  • हम्मीर रासो

रचनाकार - जोधराज

इसमें हम्मीर देव चौहान की वीरता का वर्णन किया गया है तथा हम्मीर देव तथा अलाउद्दीन खिलजी एवं हम्मीर देव के बीच हुए युद्ध पर प्रकाश डाला गया है।

 

  • खुमाण रासो

रचनाकार - दलपत विजय

पिंगल भाषा के इस ग्रंथ में मेवाड़ के शासक बप्पा रावल से राजसिंह तक के शासन काल तक का वर्णन किया गया है।

 

  • ढोला मारू रा दूहा

रचनाकार - कवि कल्लोल

डिंगल भाषा के श्रृंगार रस से भरपूर इस ग्रंथ में ढोला एवं मारवणी के प्रेमाख्यान का वर्णन है।

 

  • गजगुणरूपक

रचनाकार - केशवदास गाडण

इसमें जोधपुर के महाराजा गजराज सिंह के राज्य वैभव, तीर्थयात्रा एवं युद्धों का वर्णन है।

 

  • सूरजप्रकाश

रचनाकार - करणीदान

इसमें जोधपुर के इतिहास प्रारंभ से लेकर महाराजा अभयसिंह के शासनकाल तक लिखा हुआ है।

 

  • पद्मावत

रचनाकार - मलिक मोहम्मद जायसी

इस महाकाव्य में 1303 में मेवाड़ के शासक रावल रतनसिंह और अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है, इस महाकाव्य की रचना 1504 ई. शेरशाह सूरी के समय की गई।

 

  • हम्मीर महाकाव्य

रचनाकार - नयनचंद्र सूरी

संस्कृत भाषा के इस ग्रन्थ में जैन मुनि नयनचंद्र सूरी ने रणथम्भौर के चौहान शासकों का वर्णन किया है।

 

  • वेलि किसन रूक्मणी री

रचनाकार - पृथ्वीराज राठौड़

बीकानेर शासक रायसिंह के छोटे भाई पृथ्वीराज पीथल नाम से साहित्य रचना करते थे। इस ग्रन्थ में इन्होंने श्री कृष्ण एवं रूक्मणि के विवाह की कथा का वर्णन किया है। दुरसा आढ़ा ने इस ग्रंथ को पांचवां वेद और 19वां पुराण कहा है।

 

 

  • कान्हड़देव प्रबन्ध

रचनाकार - कवि पद्मनाभ

कवि पद्मनाभ जालौर के शासक अखैराज के दरबारी थे। इस ग्रंथ में उन्होंने जालौर के शासक कान्हड़देव व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कान्हड़देव के पुत्र वीरमदे व अलाउद्दीन खिलजी की पुत्री फिरोजा के प्रेम प्रसंग का वर्णन भी किया है। इसके अलावा यहां हुए जौहर का वर्णन भी इसमें मिलता है।

 

  • राजरूपक

रचनाकार - वीरभाण

डिंगल भाषा के इस ग्रंथ में जोधपुर के महाराज अभयसिंह और गुजरात के सूबेदार सरबुलंद खां के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।

 

  • कुवलयमाल

रचनाकार - उद्योतन सूरी

 

  • हम्मीर हठ और सुर्जन चरित

रचनाकार - इन दोनों रचनाओं के रचनाकार हैं :- कवि चंद्रशेखर

 

  • ब्रजनिधि ग्रंथावली

रचनाकार - महाराजा प्रतापसिंह

जयपुर के शासक महाराजा सवाई प्रतापसिंह द्वारा रचित काव्य ग्रंथों का संकलन। सवाई प्रतापसिंह ने ही हवामहल का निर्माण करवाया था।

 

 

  • बीसलदेव रासो

रचनाकार- नरपति नाल्ह

इसमें अजमेर के चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ एवं उनकी रानी राजमती के बीच प्रेम प्रसंग का वर्णन है।

 

 

  • अचलदास खींची री वचनिका

रचनाकार - शिवदास गाडण

 

  • राव जैतसी रो छंद

रचनाकार - बीठू सूजा

डिंगल भाषा के इस ग्रंथ में बाबर के पुत्र कामरान और बीकानेर नरेश राव जैतसी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।

 

  • वंश भास्कर

रचनाकार - सूर्यमल्ल मिश्रण

बूंदी के महाराव रामसिंह के दरबारी कवि सूर्यमल्ल मिश्रण ने इस पिंगल काव्य ग्रंथ में बूंदी राज्य का विस्तृत, ऐतिहासिक वर्णन किया है। वंश भास्कर को सूर्यमल्ल मिश्रण के बाद उनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने पूरा किया था।

 

  • वीर विनोद

रचनाकार - कविराज श्यामल

मेवाड़ में जन्में एवं महाराणा सज्जन सिंह के आश्रित कविराज श्यामलदास ने अपने इस विशाल ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना महारणा के आदेश पर प्रारम्भ की थी।

 

  • चेतावणी रा चूंगट्या

रचनाकार - केसरीसिंह बारहठ

ये मेवाड़ के राज्य कवि थे इन्होंने 13 दोहों (सोरठों) के माध्यम से मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह को 1903 ई. के दिल्ली दरबार में जाने से रोका था। इन दोहों की रचना को ही चेतावनी रा चूंगट्या कहा जाता है।

 

 

  • Annals and antiquities of Rajasthan

रचनाकार - कर्नल जेम्स टॉड

कर्नल जेम्स टॉड को राजस्थान के इतिहास का जनक भी कहा जाता है।

 

  • पाथल और पीथल

रचनाकार - कन्हैया लाल सेठिया

कन्हैया लाल सेठिया का जन्म चुरू के सुजानगढ़ में हुआ था। इस रचना में इन्होंने महाराणा प्रताप के बारे में वर्णन किया है। सेठिया की अन्य रचनाएं - मींझर, लीलटांस, धरती धोरां री, अरे घास री रोटी जद बन बिलावडों ले भाग्यो

 

 

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