आइए जानें राजस्थान में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में
आइए जानें राजस्थान में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में
साथियों राजस्थान की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो इसके लिए आपको राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। इनसे जुड़े बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। आगामी Rajasthan Police Constable, REET, वनपाल और वनरक्षक भर्ती 2022 में भी राजस्थान के वनों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभयारण्यों से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे।
इस आर्टिकल के जरिए कोचिंगवाले द्वारा आपको राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यानों की जानकारी दी जा रही है। जानकारी के अलावा ऐसे प्रश्न भी मिलेंगे जो आगामी परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं।
राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में जानने से पहले आइए जानते हैं कि राष्ट्रीय उद्यान से क्या तात्पर्य है और राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य में क्या अंतर है।
राष्ट्रीय उद्यान –
नेशनल पार्क यानि राष्ट्रीय उद्यान ऐसा उद्यान होता है जिसे किसी राष्ट्र की प्रशासन प्रणाली द्वारा औपचारिक रूप से संरक्षित किया गया हो। अलग-अलग देश अपने राष्ट्रीय उद्यानों के लिए अलग-अलग नीतियाँ रखते हैं लेकिन लगभग सभी का उद्देश्य वन्य जीवन को आने वाली पीढ़ीयों के लिए संरक्षित रखना होता है। भारत में राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना भारत सरकार द्वारा की जाती है।
राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य में अंतर
तुलना के लिए आधार |
राष्ट्रीय उद्यान |
वन्यजीव अभ्यारण्य |
अर्थ |
राष्ट्रीय उद्यान संरक्षित क्षेत्र है, जो सरकार द्वारा वन्यजीवों के संरक्षण और उन्हें विकसित करने के लिए स्थापित किए जाते हैं। |
वन्यजीव अभयारण्य, एक प्राकृतिक आवास है, जो सरकारी या निजी एजेंसी के स्वामित्व में है, जो पक्षियों और जानवरों की विशेष प्रजातियों की सुरक्षा करता है। |
मानव गतिविधियां |
एक राष्ट्रीय पार्क में मानवीय गतिविधियां प्रतिबंधित रहती हैं। |
वन्यजीव अभयारण्य में नियमों व शर्तों के आधार पर मानव गतिविधियों की अनुमति दे दी जाती है |
उद्देश्य |
राष्ट्रीय उद्यान एक वन्यजीव अभयारण्य के समान होता है। राष्ट्रीय पार्क में सभी प्रजातियों के जीव निवास करते हैं। राष्ट्रीय पार्क वन्य जीवन के संरक्षण और विकास के लिए आरक्षित है। |
अभयारण्य भी वन्यजीवन को बचाने के लिए आरक्षित है। लेकिन यहां कुछ मानवीय गतिविधियों को अनुमति है। वन्यजीव अभयारण्य ऐसा क्षेत्र है जिसका उपयोग विशेष रूप से लुप्तप्राय जानवरों की प्रजातियों को रखने के लिए किया जाता है। |
स्थापना |
आमतौर पर राष्ट्रीय या संघीय सरकार द्वारा |
आमतौर पर एक सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से जैसे कि मुख्य वन संरक्षक, आदि। |
सीमा |
राष्ट्रीय उद्यानों की एक उचित सीमा है। |
जबकि वन्यजीव अभयारण्यों में आमतौर पर ठीक से चिह्नित सीमाएं नहीं होती हैं। |
पशु चराई |
एक राष्ट्रीय उद्यान में शिकार और चराई पूरी तरह से निषिद्ध है। |
एक वन्यजीव अभयारण्य में शिकार अनुमति के बिना निषिद्ध है, हालांकि चराई और मवेशियों की आवाजाही की अनुमति है। |
परिवर्तन |
एक राष्ट्रीय पार्क को अभ्यारण घोषित नही किया जा सकता। |
लेकिन, एक वन्यजीव अभ्यारण को राष्ट्रीय पार्क में परिवर्तित किया जा सकता है। |
राजस्थान में पांच राष्ट्रीय उद्यान हैं-
- रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान
- सवाईमाधोपुर जिले में स्थित रणथम्भौर को 1 नवंबर,1980 को राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- इस उद्यान को 1974 में बाघ परियोजना के अंतर्गत चयनित किया गया।
- यह देश की सबसे कम क्षेत्रफल वाली बाघ परियोजना है।
- यह उद्यान अरावली तथा विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य 392.5 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- राष्ट्रीय स्मारक घोषित रणथंभौर दुर्ग इस उद्यान में स्थित है।
- रणथम्भौर में बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर, नीलगाय, रीछ, जरख एवं चिंकारा पाए जाते हैं।
- धौंक वृक्ष तथा ढाक वनस्पतियां इस उद्यान में पाई जाती है।
- आरक्षित क्षेत्र घोषित हो जाने पर रणथंभौर बाघ परियोजना को रामगढ़ (बूंदी) अभयारण्य से जोड़ दिया गया है।
- रणथंभौर उद्यान क्षेत्र में पदम तालाब, राजबाग, मलिक तालाब, गिलाई सागर, मानसरोवर एवं लाभपुर झीलें स्थित है।
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर का सर्वाधिक प्रसिद्द पर्यटन आकर्षण है। पार्क को केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान भी कहा जाता है।
- एशिया में पक्षियों की सबसे बड़ी प्रजनन स्थली, पक्षी प्रेमियों का तीर्थ, हिम पक्षियों का शीत बसेरा, पक्षियों का स्वर्ग आदि नामों से भी प्रसिद्ध है।
- 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- सन् 1985 में 29 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले इस उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया।
- यहां साइबेरियन क्रेन, दुर्लभ साइबेरियन सारस, गीज, पोयार्ड, लेपबिंग, बेगर्टल एवं रोजी पोलीकन नामक पक्षी पाए जाते हैं।
- पार्क में कछुओं की 7 किस्में, मछलियों की 50 किस्में और उभयचरों की 5 किस्में पाई जाती हैं। इसके अलावा यह उद्यान पक्षियों की लगभग 375 किस्मों का प्राकृतिक आवास है।
- मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान-
- 9 जनवरी, 2012 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- यह कोटा, बूंदी, झालावाड़ और चितौड़गढ़ में 759 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान का नाम दर्रा था।
- गागरोन दुर्ग, अबली मीणी महल, रावण महल, भीमचोरी मन्दिर इसी पार्क में है।
- मुकुन्दरा हिल्स के शैलकियों आदि मानव द्वारा उकेरी गई रेखायें मिलती है।
- पार्क में बबूल, इमली, बरगद, बेर, ढाक, ढोक, कदम, खजूर, खैर, करेल, खेजड़ा, कोकरा, मोहुआ, नीम आदी के पेड़ पाए जाते हैं।
- यहां तेंदुए, जंगली सूअर, स्लॉथ बियर, नीलगाय जैसे वन्यजीवों के साथ पक्षीयों व सरीसृपों की कई प्रजातियां पाई जाती है।
- सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान
- सरिस्का 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित हुआ तथा 1979 में इसे एक राष्ट्रीय पार्क का दर्जा मिला।
- यह राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना है जो दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर अलवर जिले में अरावली पर्वत माला से घिरा है।
- इस अभयारण्य में बाघों के अलावा सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, स्याहगोश, जंगली सूअर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
- इस अभयारण्य में नीलकंठ महादेव का मंदिर, लोकदेवता भर्तृहरि की तपोस्थली, पाण्डुपोल हनुमान मंदिर एवं राजस्थान पर्यटन विकास निगम की होटल टाइगर डेन स्थित है।
- यहां घास, शुष्क पर्णपाती वन,चट्टानें और चट्टानी परिदृश्य दिखाई पड़ते हैं। इस क्षेत्र के बड़े हिस्से में धाक के वृक्ष पाये जाते हैं।
- राष्ट्रीय मरू उद्यान-
- यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा अभयारण्य है।
- मरूस्थल में प्राकृतिक वनस्पति को सुरक्षित रखने, वन्य प्राणियों को संरक्षण प्रदान करने और करोड़ों वर्षों से पृथ्वी के गर्भ में दबे हुए जीवाश्म को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से 8 मई, 1981 को राष्ट्रीय मरू उद्यान की स्थापना की गई।
- यह अभयारण्य जैसलमेर व बाड़मेर जिले के तीन हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- यहां राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण (ग्रेट इंडियन वस्टर्ड) पाया जाता है।
- इस अभयारण्य में प्रकृति के अद्भुत करिश्में के रूप में लाखों वर्ष पूर्व के सागरीय जीवन के 25 वुड फॉसिल विद्यमान हैं।
- भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पूर्ण संरक्षण प्राप्त राज्य पक्षी गोडावण इस अभयारण्य में स्वच्छंद निवास करता है।
- आकल वुड फॉसिल पार्क इस अभयारण्य में स्थित है।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न-
प्रश्न - राजस्थान में कितने राष्ट्रीय उद्यान हैं?
उत्तर - 5
प्रश्न - राजस्थान का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कौनसा है?
उत्तर - राष्ट्रीय मरू उद्यान
प्रश्न - मुकुन्दरा हिल्स को राष्ट्रीय उद्यान कब घोषित किया गया?
उत्तर - 9 जनवरी, 2012
प्रश्न - त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर - रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में
प्रश्न - कौनसा राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है?
उत्तर - केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान